तपेदिक
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तपेदिक जिसे क्षयरोग, राजयक्ष्मा, यक्ष्मा, तथा टयूबरक्लोसिस (संक्षेप में टी.बी.) कहते है , एक सामन्य किंतु घातक संक्रामक रोग माना जाता है। यह जीवाणु से फैलता है, मुख्य रूप से माइक्रोबैकटीरियम टयूबरक्लोसिस से। यह आम तौर पर फेफ़ेड़ो को प्रभावित करता है किंतु यह केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र लिम्फतंत्र ,संचार तंत्र,मूत्रजनन तंत्र अस्थि, जोड़ ,यहाँ तक कि त्वचा को भी प्रभावित करता है कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु जो यह रोग पैदा कर सकतें है वे है माइक्रोबैकटीरियम बोविस, मा-अफ्रीकनम,मा-कैनेटी,मा-मिक्रोटी किंतु ये प्रजातिय़ाँ आमतौर पर किसी स्वस्थय वयस्क को प्रभावित नहीं करती है[1]
विश्व की एक तिहाई आबादी के शरीर में इस रोग का संक्रमण पाया जाता है प्रति 1 सैकेण्ड मे 1 नया संक्रमण भी होता है[2] किंतु प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति इस रोग से ग्रस्त नहीं होता है इसके छिपे संक्रमण से ग्रस्त 10 में से 1 को रोग शुरू हो जाता है यदि इसका इलाज नहीं मिले तो आधे रोगी काल का ग्रास बन जाते है ।
2004 में 14.6 मिलियन सक्रिय मामलें थे जहाँ रोग गंभीर दशा में चला गया था,8.9मिलियन नये मामलें सामनें आये थे तथा 1.6 मिलियन मौतें हुई थी ये ज्यादातर विकासशील देशों मे हुई थी[2] विकसित देशों से भी यह रोग पूर्णत गायब नहीं हुआ है वहाँ लोगों का प्रतिरक्षा तंत्र दुर्बल हो गया है क्योंकि वे लोग प्रतिरक्षा तंत्र शमनकारी औषधि लेते है नशीले पदार्थों के सेवन से तथा एडस इसके सबसे बडें कारण है एच.आई.वी. संक्रमण बढजाने से तथा टी.बी. नियंत्रण कार्यक्रम के दुर्बम हो जाने से यह रोग फिर से उभर गया है[3] इसके अलावा दवाप्रतिरोधी तपेदिक के उभार से महामारी की तरह यह रोग फैल रहा है । 2000 से 2004 के मध्य 20% टी.बी. मामलों में जीवाणु मानक उपचार के प्रति सहनशील हो गया था जबकि 2% मामलों मे यह द्वितीय पंक्ति की औषधियों के प्रति भी प्रतिरक्षा रखने लगा था[4] टी.बी. के मामलें किसी देश के स्वास्थ्य सेवा की दशा दिखातें है [5] विश्व स्वास्थ्य संगठन के मतानुसार 1993 से यह रोग विश्व भर मे आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या बन चुका है,वर्ष 2006 से 2015 के मध्य 14 मिलियन जीवन बचाने की कार्ययोजना भी तैयार कर ली गयी है[6]
अनुक्रम |
[संपादित करें] लक्षण
[संपादित करें] जीवाणु प्रजाति
[संपादित करें] इनका विकासक्रम
[संपादित करें] संक्रमण
[संपादित करें] पैथोजेनिसिस
[संपादित करें] पहचान
[संपादित करें] पूर्वानुमान
[संपादित करें] उपचार
[संपादित करें] बचाव
[संपादित करें] वैक्सीन
[संपादित करें] महामारीयप्रसार
[संपादित करें] इतिहास
[संपादित करें] जनश्रुति में
[संपादित करें] अध्ययन तथा उपचार
[संपादित करें] अन्य प्राणी जातियों में संक्रमण
[संपादित करें] इन्हें भी देखें
[संपादित करें] संदर्भ
[संपादित करें] अतिरिक्त अध्ययन
[संपादित करें] बाहरी कडियाँ
- तपेदिक या टीबी (ब्लाग)
चित्र:Mycobacterium tuberculosis.jpg
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