गणित
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गणित (en:Mathematics) ऐसी विद्याओं का समूह है जो संख्याओं, मात्राओं, परिमाणों, रूपों और उनके आपसी रिश्तों, गुण, स्वभाव इत्यादि का अध्ययन करती हैं । गणित एक निराकार (abstract) और निगमनात्मक प्रणाली है। गणित की कई शाखाएँ हैं : अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि। गणित में अभ्यस्त व्यक्ति या खोज करने वाले वैज्ञानिक को गणितज्ञ कहते हैं।
वर्तमान में गणित को मोटे तौर पर दो भागों में बांटा जाता है: अनुप्रायोगिक (applied) और शुद्ध (pure)। विज्ञान, अर्थशास्त्र और अन्य कई क्षेत्रों में प्रयोग किया जाने वाला गणित प्रायोगिक गणित है और इसमें अध्ययन की जाने वाली गणितीय समस्याओं का स्रोत किसी और क्षेत्र में होता है। शुद्ध गणित स्वयं गणित में उपजी उन समस्याओं का हल ढूंढता है जिनका अन्य क्षेत्रों से सीधा सम्बन्ध नहीं है। कई बार समय के साथ-साथ शुद्ध गणित के अनुप्रयोग मिलते जाते हैं और इस प्रकार उसका कुछ हिस्सा प्रायोगिक गणित में आता जाता है। संख्या सिद्धान्त शुद्ध गणित का एक उदाहरण है। फ़ेरमा की सुप्रसिद्ध प्रमेय संख्या सिद्धान्त का ही एक अंग है। शुद्ध गणित का विकास बीसवीं शताब्दी में बहुत अधिक हुआ और इसके विकास में १९०० में डेविड हिल्बर्ट के द्वारा पेरिस में दिये गये व्याख्यान का बहुत योगदान रहा।
अनुक्रम |
[संपादित करें] भारतीय गणितज्ञ
इसे भी देखें : भारतीय गणितज्ञ सूची
[संपादित करें] ईसा पूर्व
याज्ञवल्क्य - लगध - बौधायन - मानव - आपस्तम्ब - अक्षपाद गौतम - कात्यायन - पिंगल - भरत मुनि
[संपादित करें] सन् १-१००० ईसवी
आर्यभट - वराहमिहिर - भास्कर १ -
[संपादित करें] वाह्य सूत्र
- गणित का इतिहास (अंग्रेजी में)
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