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ताजमहल - विकिपीडिया

ताजमहल

विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से

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प्रस्तावना

निर्देशांक: 27°10′27″N, 78°02′32″E

चारबाग - स्वर्ग के बाग, से ताजमहल का अपूर्व दृश्य।
चारबाग - स्वर्ग के बाग, से ताजमहल का अपूर्व दृश्य।

ताज महल (उच्चारण सहायता /tɑʒ mə'hɑl/) (फारसी: تاج محل, अँग्रेजी़: Taj Mahal) भारत के आगरा शहर में स्थित एक मक़बरा है। इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने, अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था।

ताज महल मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फारसी, तुर्क, भारतीय एवं इस्लामिक वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् 1983 में, ताज महल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसित, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है।

इसका श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमर्मर से ढंका[१] केन्द्रीय मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठता में सौन्दर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है, कि यह पूर्णतया सममितीय है। यह सन 1648 के लगभग पूर्ण निर्मित हुआ था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्रायः इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है।[२]

अनुक्रम

वास्तु कला


मकबरा

ताजमहल के फर्श/तल की योजना का मानचित्र
ताजमहल के फर्श/तल की योजना का मानचित्र

ताज महल का केन्द्र बिंदु है, एक वर्गाकार नींव आधार पर बना श्वेत संगमर्मर का मकबरा। यह एक सममितीय इमारत है, जिसमें एक ईवान यानि अतीव विशाल वक्राकार (मेहराब रूपी) द्वार है। इस इमारत के ऊपर एक वृहत गुम्बद सुशोभित है। अधिकतर मुगल मकबरों जैसे, इसके मूल अवयव फारसी उद्गम से हैं।

मूल - आधार

इसका मूल-आधार एक विशाल बहु-कक्षीय संरचना है। यह प्रधान कक्ष घनाकार है, जिसका प्रत्येक किनारा 55 मीटर है (देखें: तल मानचित्र, दांये)। लम्बे किनारों पर एक भारी-भरकम पिश्ताक, या मेहराबाकार छत वाले कक्ष द्वार हैं। यह ऊपर बने मेहराब वाले छज्जे से सम्मिलित है।

ताजमहल के मुख्य मेहराब के दोनों ओर, एक के ऊपर दूसरा शैली में, दोनों ओर दो-दो अतिरिक्त पिश्ताक़ बने हैं। इसी शैली में, कक्ष के चारों किनारों पर दो-दो पिश्ताक (एक के ऊपर दूसरा) बने हैं।
ताजमहल के मुख्य मेहराब के दोनों ओर, एक के ऊपर दूसरा शैली में, दोनों ओर दो-दो अतिरिक्त पिश्ताक़ बने हैं। इसी शैली में, कक्ष के चारों किनारों पर दो-दो पिश्ताक (एक के ऊपर दूसरा) बने हैं।
ताज के चट्टा लगे पिश्ताक, चारों कोनों में भी कर्णरेखा के समानांतर फलकों पर बने हैं।
ताज के चट्टा लगे पिश्ताक, चारों कोनों में भी कर्णरेखा के समानांतर फलकों पर बने हैं।

मुख्य-मेहराब

मुख्य मेहराब के दोनों ओर, एक के ऊपर दूसरा शैली में, दोनों ओर दो-दो अतिरिक्त पिश्ताक़ बने हैं। इसी शैली में, कक्ष के चारों किनारों पर दो-दो पिश्ताक (एक के ऊपर दूसरा) बने हैं। यह रचना इमारत के प्रत्येक ओर पूर्णतया सममितीय है, जो कि इस इमारत को वर्ग के बजाय अष्टकोण बनाती है, परंतु कोने के चारों भुजाएं बाकी चार किनारों से काफी छोटी होने के कारण, इसे वर्गाकार कहना ही उचित होगा। मकबरे के चारों ओर चार मीनारें मूल आधार चौकी के चारों कोनों में, इमारत के दृश्य को एक चौखटे में बांधती प्रतीत होती हैं। मुख्य कक्ष में मुमताज महल एवं शाहजहाँ की नकली कब्रें हैं। ये खूब अलंकृत हैं, एवं इनकी असल निचले तल पर स्थित है।

ताज का ताज है यह विशाल श्वेत प्याज आकार का गुम्बद
ताज का ताज है यह विशाल श्वेत प्याज आकार का गुम्बद
मुख्य गुम्बद के चारों ओर चार छोटी छतरियां, बाह्य शोभा के साथ साथ आंतरिक प्रकश की व्यवस्था भी करतीं हैं
मुख्य गुम्बद के चारों ओर चार छोटी छतरियां, बाह्य शोभा के साथ साथ आंतरिक प्रकश की व्यवस्था भी करतीं हैं

गुम्बद

मकबरे पर सर्वोच्च शोभायमान संगमर्मर का गुम्बद (देखें बांये), इसका सर्वाधिक शानदार भाग है। इसकी ऊँचाई लगभग इमारत के आधार के बराबर, 35 मीटर है, और यह एक 7 मीटर ऊँचे बेलनाकार आधार पर स्थित है। यह अपने आकारानुसार प्रायः प्याज-आकार (अमरूद आकार भी कहा जाता है) का गुम्बद भी कहलाता है। इसका शिखर एक उलटे रखे कमल से अलंकृत है। यह गुम्बद के किनारों को शिखर पर सम्मिलन देता है।

छतरियाँ

गुम्बद के आकार को इसके चार किनारों पर स्थित चार छोटी गुम्बदाकारी छतरियों (देखें दायें) से और बल मिलता है। छतरियों के गुम्बद, मुख्य गुम्बद के आकार की प्रतिलिपियाँ ही हैं, केवल नाप का फर्क है। इनके स्तम्भाकार आधार, छत पर आंतरिक प्रकाश की व्यवस्था हेतु खुले हैं। संगमर्मर के ऊँचे सुसज्जित गुलदस्ते, गुम्बद की ऊँचाई को और बल देते हैं। मुख्य गुम्बद के साथ-साथ ही छतरियों एवं गुलदस्तों पर भी कमलाकार शिखर शोभा देता है। गुम्बद एवं छतरियों के शिखर पर परंपरागत फारसी एवं हिंदू वास्तु कला का प्रसिद्ध घटक एक धात्विक कलश किरीटरूप में शोभायमान है।

शिखर का किरीट कलश जिस पर त्रिशूल आकृति दिखाई देती है।
शिखर का किरीट कलश जिस पर त्रिशूल आकृति दिखाई देती है।
चारों कोनों पर स्थित मीनारें इसके दश्य को चौखटे में बांधतीं हैं
चारों कोनों पर स्थित मीनारें इसके दश्य को चौखटे में बांधतीं हैं

किरीट कलश

मुख्य गुम्बद के किरीट पर कलश है (देखें दायें)। यह शिखर कलश आरंभिक 1800 तक स्वर्ण का था, और अब यह कांसे का बना है। यह किरीट-कलश फारसी एवं हिंन्दू वास्तु कला के घटकों का एकीकृत संयोजन है। यह हिन्दू मन्दिरों के शिखर पर भी पाया जाता है। इस कलश पर चंद्रमा बना है, जिसकी नोक स्वर्ग की ओर इशारा करती हैं। अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनातीं हैं, जो कि हिन्दू भगवान शिव का चिह्न है।[३]

मीनारें

मुख्य आधार के चारों कोनों पर चार विशाल मीनारें (देखें बायें) स्थित हैं। यह प्रत्येक 40 मीटर ऊँची है। यह मीनारें ताजमहल की बनावट की सममितीय प्रवृत्ति दर्शित करतीं हैं। यह मीनारें मस्जिद में अजा़न देने हेतु बनाई जाने वाली मीनारों के समान ही बनाईं गईं हैं। प्रत्येक मीनार दो-दो छज्जों द्वारा तीन समान भागों में बंटी है। मीनार के ऊपर अंतिम छज्जा है, जिस पर मुख्य इमारत के समान ही छतरी बनीं हैं। इन पर वही कमलाकार आकृति एवं किरीट कलश भी हैं। इन मीनारों में एक खास बात है, यह चारों बाहर की ओर हलकी सी झुकी हुईं हैं, जिससे कि कभी गिरने की स्थिति में, यह बाहर की ओर ही गिरें, एवं मुख्य इमारत को कोई क्षति न पहुँच सके।

आधार, गुम्बद एवं मीनार
डूबते सूर्य के संग ताज का अद्वितीय दृश्य
डूबते सूर्य के संग ताज का अद्वितीय दृश्य



बाहरी अलंकरण

वृहत पिश्ताक पर सुलेखन
वृहत पिश्ताक पर सुलेखन

ताजमहल का बाहरी अलंकरण, मुगल वास्तुकला का उत्कृष्टतम उदाहरण हैं। जैसे ही सतह का क्षेत्रफल बदलता है, बडे़ पिश्ताक का क्षेत्र छोटे से अधिक होता है, और उसका अलंकरण भी इसी अनुपात में बदलता है। अलंकरण घटक रोगन या गचकारी से अथवा नक्काशी एवं रत्न जड़ कर निर्मित हैं। इस्लाम के मानवतारोपी आकृति के प्रतिबन्ध का पूर्ण पालन किया है। अलंकरण को केवल सुलेखन, निराकार, ज्यामितीय या पादप रूपांकन से ही किया गया है। ताजमहल में पाई जाने वाले सुलेखन फ्लोरिड थुलुठ लिपि के हैं। ये फारसी लिपिक अमानत खां द्वारा सृजित हैं। यह सुलेख जैस्प‍र को श्वेत संगमर्मर के फलकों में जड़ कर किया गया है। संगमर्मर के सेनोटैफ पर किया गया कार्य अतीव नाजु़क , कोमल एवं महीन है। ऊँचाई का ध्यान रखा गया है। ऊँचे फलकों पर उसी अनुपात में बडा़ लेखन किया गया है, जिससे कि नीचे से देखने पर टेढा़पन ना प्रतीत हो। पूरे क्षेत्र में कु़रान की आयतें, अलंकरण हेतु प्रयोग हुईं हैं। हाल ही में हुए शोधों से ज्ञात हुआ है, कि अमानत खाँ ने ही उन आयतों का चुनाव भी किया था। [४][५]

प्रयुक्त सूरा

यहाँ का पाठ्य कुरान में वर्णित, अंतिम निर्णय के विषय में है, एवं इसमें निम्न सूरा की आयतें सम्मिलित है:

जैसे ही कोई ताजमहल के द्वार से प्रविष्ट होता है, सुलेख है

हे आत्मा ! तू ईश्वर के पास विश्राम कर। ईश्वर के पास शांति के साथ रहे तथा उसकी परम शांति तुझ पर बरसे।

[६][५]


मेहराब के दोनों ओर के स्पैन्ड्रल
मेहराब के दोनों ओर के स्पैन्ड्रल

अमूर्त प्रारूप प्रयुक्त किए गए हैं, खासकर आधार, मीनारों, द्वार, मस्जिद, जवाब में; और कुछ-कुछ मकबरे की सतह पर भी। बलुआ-पत्थर की इमारत के गुम्बदों एवं तहखानों में, पत्थर की नक्काशी से उत्कीर्ण चित्रकारी द्वारा विस्तृत ज्यामितीय नमूने बना अमूर्त प्रारूप उकेरे गए हैं। यहां हैरिंगबोन शैली में पत्थर जड़ कर संयुक्त हुए घटकों के बीच का स्थान भरा गया है। लाल बलुआ-पत्थर इमारत में श्वेत, एवं श्वेत संगमर्मर में काले या गहरे, जडा़ऊ कार्य किए हुए हैं। संगमर्मर इमारत के गारे-चूने से बने भागों को रंगीन या गहरा रंग किया गया है। इसमें अत्यधिक जटिल ज्यामितीय प्रतिरूप बनाए गए हैं। फर्श एवं गलियारे में विरोधी रंग की टाइलों या गुटकों को टैसेलेशन नमूने में प्रयोग किया गया है। पादप रूपांकन मिलते हैं मकबरे की निचली दीवारों पर। यह श्वेत संगमर्मर के नमूने हैं, जिनमें सजीव बास रिलीफ शैली में पुष्पों एवं बेल-बूटों का सजीव अलंकरण किया गया है। संगमर्मर को खूब चिकना कर और चमका कर महीनतम ब्यौरे को भी निखारा गया है। डैडो साँचे एवं मेहराबों के स्पैन्ड्रल भी पीट्रा ड्यूरा के उच्चस्तरीय रूपांकित हैं। इन्हें लगभग ज्यामितीय बेलों, पुष्पों एवं फलों से सुसज्जित किया गया है। इनमें जडे़ हुए पत्थर हैं - पीत संगमर्मर, जैस्पर, हरिताश्म, जिन्हें भीत-सतह से मिला कर घिसाई की गई है।

आंतरिक अलंकरण

कब्रों को घेरे हुए जाली की दीवार
कब्रों को घेरे हुए जाली की दीवार
शाहजहाँ एवं मुमताज महल की कब्रें
शाहजहाँ एवं मुमताज महल की कब्रें
ताजमहल का अंतस
ताजमहल का अंतस

ताजमहल का आंतरिक कक्ष परंपरागत अलंकरण अवयवों से कहीं परे है। यहाँ जडा़ऊ कार्य पीट्रा ड्यूरा नहीं है, वरन बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों की लैपिडरी कला है। आंतरिक कक्ष एक अष्टकोण है, जिसके प्रत्येक फलक में प्रवेश-द्वार है, हांलाकि केवल दक्षिण बाग की ओर का प्रवेशद्वार ही प्रयोग होता है। आंतरिक दीवारें लगभग 25 मीटर ऊँची हैं, एवं एक आभासी आंतरिक गुम्बद से ढंकी हैं, जो कि सूर्य के चिन्ह से सजा है। आठ पिश्ताक मेहराब फर्श के स्थान को भूषित करते हैं। बाहरी ओर, प्रत्येक निचले पिश्ताक पर एक दूसरा पिश्ताक लगभग दीवार के मध्य तक जाता है। चार केन्द्रीय ऊपरी मेहराब छज्जा बनाते हैं, एवं हरेक छज्जे की बाहरी खिड़की, एक संगमर्मर की जाली से ढंकी है। छज्जों की खिड़कियों के अलावा, छत पर बनीं छतरियों से ढंके खुले छिद्रों से भी प्रकाश आता है। कक्ष की प्रत्येक दीवार डैडो बास रिलीफ, लैपिडरी एवं परिष्कृत सुलेखन फलकों से सुसज्जित है, जो कि इमारत के बाहरी नमूनों को बारीकी से दिखाती है। आठ संगमर्मर के फलकों से बनी जालियों का अष्टकोण, कब्रों को घेरे हुए है। हरेक फलक की जाली पच्चीकारी के महीन कार्य से गठित है। शेष सतह पर बहुमूल्र पत्थरों एवं रत्नों का अति महीन जडा़ऊ पच्चीकारी कार्य है, जो कि जोडे़ में बेलें, फल एवं फूलों से सज्जित है।

मुस्लिम परंपरा के अनुसार कब्र की विस्तृत सज्जा मना है। इसलिये शाहजहाँ एवं मुमताज महल के पार्थिव शरीर इसके नीचे तुलनात्मक रूप से साधारण, असली कब्रों में, में दफ्न हैं, जिनके मुख दांए एवं मक्का की ओर हैं। मुमताज महल की कब्र आंतरिक कक्ष के मध्य में स्थित है, जिसका आयताकार संगमर्मर आधार 1.5 मीटर चौडा़ एवं 2.5 मीटर लम्बा है। आधार एवं ऊपर का शृंगारदान रूप, दोनों ही बहुमूल्य पत्थरों एवं रत्नों से जडे़ हैं। इस पर किया गया सुलेखन मुमताज की पहचान एवं प्रशंसा में है। इसके ढक्कन पर एक उठा हुआ आयताकार लोजै़न्ज (र्होम्बस) बना है, जो कि एक लेखन पट्ट का आभास है। शाहजहाँ की कब्र मुमताज की कब्र के दक्षिण ओर है। यह पूरे क्षेत्र में, एकमात्र दृश्य असम्मितीय घटक है। यह असम्मिती शायद इसलिये है, कि शाहजहाँ की कब्र यहाँ बननी निर्धारित नहीं थी। यह मकबरा मुमताज के लिये मात्र बना था। यह कब्र मुमताज की कब्र से बडी़ है, परंतु वही घटक दर्शाती है: एक वृहततर आधार, जिसपर बना कुछ बडा़ श्रंगारदान, वही लैपिडरी एवं सुलेखन, जो कि उनकी पहचान देता है। तहखाने में बनी मुमताज महल की असली कब्र पर अल्लाह के निन्यानवे नाम खुदे हैं जिनमें से कुछ हैं "ओ नीतिवान, ओ भव्य, ओ राजसी, ओ अनुपम, ओ अपूर्व, ओ अनन्त, O अनन्त, ओ तेजस्वी... " आदि। शाहजहाँ की कब्र पर खुदा है;

"उसने हिजरी के 1076 साल में रज्जब के महीने की छब्बीसवीं तिथि को इस संसार से नित्यता के प्रांगण की यात्रा की।"

चार बाग

चारबाग के उद्यानों का 360° विशालदर्शी दृश्य
चारबाग के उद्यानों का 360° विशालदर्शी दृश्य

इस कॉम्प्लेक्स को घेरे है विशाल 300 वर्ग मीटर का चारबाग, एक मुगल बाग। इस बाग में ऊँचा उठा पथ है। यह पथ इस चार बाग को 16 निम्न स्तर पर बनी क्यारियों में बांटता है। बाग के मध्य में एक उच्चतल पर बने तालाब में ताजमहल का प्रतिबिम्ब दृश्य होता है। यह मकबरे एवं मुख्यद्वार के मध्य में बना है। यह प्रतिबिम्ब इसकी सुंदरता को चार चाँद लगाता है। अन्य स्थानों पर बाग में पेडो़ की कतारें हैं एवं मुख्य द्वार से मकबरे पर्यंत फौव्वारे हैं। [७] इस उच्च तल के तालाब को अल हौद अल कवथार कहते हैं, जो कि मुहम्मद द्वारा प्रत्याशित अपारता के तालाब को दर्शाता है।[८]चारबाग के बगीचे फारसी बागों से प्रेरित हैं, तथा भारत में प्रथम दृष्ट्या मुगल बादशाह बाबर द्वारा बनवाए गए थे। यह स्वर्ग (जन्नत) की चार बहती नदियों एवं पैराडाइज़ या फिरदौस के बागों की ओर संकेत करते हैं। यह शब्द फारसी शब्द पारिदाइजा़ से बना शब्द है, जिसका अर्थ है एक भीत्त रक्षित बाग। फारसी रहस्यवाद में मुगल कालीन इस्लामी पाठ्य में फिरदौस को एक आदर्श पूर्णता का बाग बताया गया है। इसमें कि एक केन्द्रीय पर्वत या स्रोत या फव्वारे से चार नदियाँ चारों दिशाओं, उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहतीं हैं, जो बाग को चार भागों में बांटतीं हैं।

प्रतिबिम्बित झील के पीछे पैदल पथ
प्रतिबिम्बित झील के पीछे पैदल पथ

अधिकतर मुगल चारबाग आयताकार होते हैं, जिनके केन्द्र में एक मण्डप/मकबरा बना होता है। केवल ताजमहल के बागों में यह असामान्यता है; कि मुख्य घटक मण्डप, बाग के अंत में स्थित है। यमुना नदी के दूसरी ओर स्थित माहताब बाग या चांदनी बाग की खोज से, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यह निष्कर्ष निकाला है, कि यमुना नदी भी इस बाग के रूप का हिस्सा थी, और उसे भी स्वर्ग की नदियों में से एक गिना जाना चाहेये था।[९] बाग के खाके एवं उसके वास्तु लक्षण्, जैसे कि फव्वारे, ईंटें, संगमर्मर के पैदल पथ एवं ज्यामितीय ईंट-जडि़त क्यारियाँ, जो काश्मीर के शालीमार बाग से एकरूप हैं, जताते हैं कि इन दोनों का ही वास्तुकार एक ही हो सकता है, अली मर्दान।[१०] बाग के आरम्भिक विवरण इसके पेड़-पौधों में, गुलाब, कुमुद या नरगिस एवं फलों के वृक्षों के आधिक्य बताते हैं।[११] जैसे जैसे मुगल साम्राज्य का पतन हुआ, बागों की देखे रेखे में कमी आई। जब ब्रिटिश राज्य में इसका प्रबन्धन आया, तो उन्होंने इसके बागों को लंडन के बगीचों की भांति बदल दिया।[१२]

साथी इमारतें

ताजमहल का द्वार
ताजमहल का द्वार

ताजमहल इमारत समूह रक्षा दीवारों से परिबद्ध है। यह दीवारें तीन ओर लाल बलुआ पत्थर से बनीं हैं, एवं नदी की ओर खुला है। इन दीवारों के बाहर अतिरिक्त मकबरे स्थित हैं, जिसमें शाहजहाँ की अन्य पत्नियाँ दफ्न हैं, एवं एक बडा़ मकबरा मुमताज की प्रिय दासी हेतु भी बना है। यह इमारतें भी अधिकतर लाल बलुआ पत्थर से ही निर्मित हैँ, एवं उस काल के छोटे मकबरों को दर्शातीं हैं। इन दीवारों की बागों से लगी अंदरूनी ओर में स्तंभ सहित तोरण वाले गलियारे हैं। यह हिंदु मन्दिरों की शैली है, जिसे बाद में, मस्जिदों में भी अपना ली गई थी। दीवार में बीच-बीच में गुम्बद वाली गुमटियाँ भी हैं ( छतरियों वाली छोटी इमारतें, जो कि तब पहरा देने के काम आती होंगीं, परंतु अब संग्रहालय बनीं हुईं हैं।

मुख्य द्वार (दरवाजा़) भी एक स्मारक स्वरूप है। यह भी संगमर्मर एवं लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। यह आरम्भिक मुगल बादशाहों के वास्तुकला का स्मारक है। इसका मेहराब ताजमहल के मेहराब की प्रति है। इसके पिश्ताक मेहराबों पर सुलेखन से अलंकरण किया गया है। इसमें बास रिलीफ एवं पीट्रा ड्यूरा पच्चीकारी से पुष्पाकृति आदि प्रयुक्त हैं। मेहराबी छत एवं दीवारों पर यहाँ की अन्य इमारतों जैसे ज्यामितीय नमूने बनाए गए हैं।

ताजमहल की मस्जिद
ताजमहल की मस्जिद

इस समूह के सुदूर छोर पर दो विशाल लाल बलुआ पत्थर की इमारतें हैं, जो कि मकबरे की ओर सामना किए हुए हैं। इनके पिछवाडे़ पूर्वी एवं पश्चिमी दीवारों से जुडे़ हैं, एवं दोनों ही एक दूसरे की प्रतिबिम्ब आकृति हैं। पश्चिमी इमारत एक मस्जिद है, एवं पूर्वी को जवाब कहते हैं, जिसका प्राथमिक उद्देश्य वास्तु संतुलन है, एवं आगन्तुक कक्ष की तरह प्रयुक्त होती रही है। इन दोनों इमारतों के बीच अंतर यह है, कि मस्जिद में एक मेहराब कम है, उसमें मक्का की ओर आला बना है, एवं जवाब के फर्श में ज्यामितीय नमूने बने हैं, जबकि मस्जिद के फर्श में 569 नमाज़ पढ़ने हेतु बिछौने(जा-नमाज़) के प्रतिरूप काले संगमर्मर से बने हैं। मस्जिद का मूल रूप शाहजहाँ द्वारा निर्मित अन्य मस्जिदों के समान ही है, खासकर मस्जिद जहाँनुमा, या दिल्ली की जामा मस्जिद; एक बडा़ दालान या कक्ष या प्रांगण, जिसपर तीन गुम्बद बने हैं। इस काल की मुगल मस्जिदें, पुण्यस्थान को तीन भागों में बांटतीं हैं; बीचों बीच मुख्य स्थान, एवं दोनो ओर छोटे स्थान। ताजमहल में हरेक पुण्यस्थान एक वृहत मेहराबी तहखाने में खुलता है। यह साथी इमारतें 1643 में पुरी हुईं।

निर्माण

ताजमहल का फर्श मानचित्र
ताजमहल का फर्श मानचित्र

ताजमहल परिसीमित[१३] आगरा नगर के दक्षिण छोर पर एक छोटे भूमि पठार पर बनाया गया था। शाहजहाँ ने इसके बदले जयपुर के महाराजा जयसिंह को आगरा शहर के मध्य एक वृहत महल दिया था। [१४] लगभग तीन एकड़ के क्षेत्र को खोदा गया, एवं उसमें कूडा़ कर्कट भर कर उसे नदी सतह से पचास मीटर ऊँचा बनाया गया, जिससे कि सीलन आदि से बचाव हो पाए। मकबरे के क्षेत्र में , पचास कुँए खोद कर कंकड़-पत्थरों से भरकर नींव स्थान बनाया गया। फिर बांस के परंपरागत पैड़ (स्कैफ्फोल्डिंग) के बजाय, एक बहुत बडा़ ईंटों का , मकबरे समान ही ढाँचा बनाया गया। यह ढाँचा इतना बडा़ था, कि अभियाँत्रिकों के अनुमान से उसे हटाने में ही सालों लग जाते। इसका समाधान यह हुआ, कि शाहजाहाँ के आदेशानुसार स्थानीय किसानों को खुली छूट दी गई कि एक दिन में कोई भी चाहे जितनी ईंटें उठा सकता है, और वह ढाँचा रात भर में ही साफ हो गया। सारी निर्माण सामग्री एवं संगमर्मर को नियत स्थान पर पहुँचाने हेतु, एक पंद्रह किलोमीटर लम्बा मिट्टी का ढाल बनाया गया। बीस से तीस बैलों को खास निर्मित गाडि़यों में जोतकर शिलाखण्डों को यहाँ लाया गया था। एक विस्तृत पैड़ एवं बल्ली से बनी, चरखी चलाने की प्रणाली बनाई गई, जिससे कि खण्डों को इच्छित स्थानों पर पहुँचाया गया। नदी से पानी लाने हेतु रहट प्रणाली का प्रयोग किया गया था। उससे पानी ऊपर बने बडे़ टैंक में भरा जाता था। फिर यह तीन गौण टैंकों में भरा जाता था, जहाँ से यह नलियों (पाइपों) द्वारा स्थानों पर पहुँचाया जाता था।

आधारशिला एवं मकबरे को निर्मित होने में बारह साल लगे। शेष इमारतों एवं भागों को अगले दस वर्षों में पूर्ण किया गया। इनमें पहले मीनारें, फिर मस्जिद, फिर जवाब एवं अंत में मुख्य द्वार बने। क्योंकि यह समूह, कई अवस्थाओं में बना, इसलिये इसकी निर्माण-समाप्ति तिथि में कई भिन्नताएं हैं। यह इसलिये है, क्योंकि पूर्णता के कई पृथक मत हैं। उदाहरणतः मुख्य मकबरा 1643 में पूर्ण हुआ था, किंतु शेष समूह इमारतें बनती रहीं। इसी प्रकार इसकी निर्माण कीमत में भी भिन्नताएं हैं, क्योंकि इसकी कीमत तय करने में समय के अंतराल से काफी फर्क आ गया है। फिर भी कुल मूल्य लगभग 3 अरब 20 करोड़ रुपए, उस समयानुसार आंका गया है; जो कि वर्तमान में खरबों डॉलर से भी अधिक हो सकता है, यदि वर्तमान मुद्रा में बदला जाए।[१५]

ताजमहल को सम्पूर्ण भारत एवं एशिया से लाई गई सामग्री से निर्मित किया गया था। 1,000 से अधिक हाथी निर्माण के दौरान यातायात हेतु प्रयोग हुए थे। पराभासी श्वेत संगमर्मर को राजस्थान से लाया गया था, जैस्पर को पंजाब से, हरिताश्म या जेड एवं स्फटिक या क्रिस्टल]] को चीन से। तिब्बत से फीरोजा़, अफगानिस्तान से en:Lapis_lazuli लैपिज़ लजू़ली, श्रीलंका से नीलम एवं अरबिया से इंद्रगोप या कार्नेलियन लाए गए थे। कुल मिला कर अठ्ठाइस प्रकार के बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न श्वेत संगमर्मर में जडे़ गए थे।

एक कलाकार की कल्पना अनुसार ताजमहल का हवाई चित्र
एक कलाकार की कल्पना अनुसार ताजमहल का हवाई चित्र

उत्तरी भारत से लगभग बीस हजा़र मज़दूरों की सेना अन्वरत कार्यरत थी। बुखारा से शिल्पकार, सीरिया एवं ईरान से सुलेखन कर्ता, दक्षिण भारत से पच्चीकारी के कारीगर, बलूचिस्तान से पत्थर तराशने एवं काटने वाले कारीगर इनमें शामिल थे। कंगूरे, बुर्जी एवं कलश आदि बनाने वाले, दूसरा जो केवल संगमर्मर पर पुष्प तराश्ता था, इत्यादि सत्ताईस कारीगरों में से कुछ थे, जिन्होंने सृजन इकाई गठित की थी। कुछ खास कारीगर, जो कि ताजमहल के निर्माण में अपना स्थान रखते हैं, वे हैं:-

चित्र:Bullet.PNG  मुख्य गुम्बद का अभिकल्पक इस्माइल (ए.का.इस्माइल खाँ),[१६] , जो कि ऑट्टोमन साम्राज्य का प्रमुख गोलार्ध एवं गुम्बद अभिकल्पक थे।
चित्र:Bullet.PNG  फारस के उस्ताद ईसा एवं ईसा मुहम्मद एफेंदी (दोनों ईरान से), जो कि ऑट्टोमन साम्राज्य के कोचा मिमार सिनान आगा द्वारा प्रशिक्षित किये गये थे, इनका बार बार यहाँ के मूर अभिकल्पना में उल्लेख आता है। [१७][१८] परंतु इस दावे के पीछे बहुत कम साक्ष्य हैं।
चित्र:Bullet.PNG  बेनारुस, फारस (ईरान)से 'पुरु' को पर्यवेक्षण वास्तुकार नियुक्त किया गया [१९]
चित्र:Bullet.PNG  का़जि़म खान, लाहौर का निवासी, ने ठोस सुवर्ण कलश निर्मित किया।
चित्र:Bullet.PNG  चिरंजी लाल, दिल्ली का एक लैपिडरी, प्रधान शिलपी, एवं पच्चीकारक घोषित किया गया था।
चित्र:Bullet.PNG  अमानत खाँ, जो कि शिराज़, ईरान से था, मुख्य सुलेखना कर्त्ता था। उसका नाम मुख्य द्वार के सुलेखन के अंत में खुदा [२०]
चित्र:Bullet.PNG  मुहम्मद हनीफ, राज मिस्त्रियों का पर्यवेक्षक था, साथ ही मीर अब्दुल करीम एवं मुकर्‍इमत खां, शिराज़, ईरान से; इनके हाथिओं में प्रतिदिन का वित्त एवं प्रबंधन था।

इतिहास

1860 में ताजमहल
1860 में ताजमहल

ताजमहल के पूरा होने के तुरंत बाद ही, शाहजहाँ को अपने पुत्र औरंगजे़ब द्वारा अपदस्थ कर, आगरा के किले में नज़रबन्द कर दिया गया। शाहजहाँ की मृत्यु के बाद, उसे उसकी पत्नी के बराबर में दफना दिया गया था। अंतिम 19वीं सदी होते होते ताजमहल की हालत काफी जीर्ण-शीर्ण हो चली थी।

युद्धकालीन सुरक्षा पैड़ बल्ली
युद्धकालीन सुरक्षा पैड़ बल्ली

1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, ताजमहल को ब्रिटिश सैनिकों एवं सरकारी अधिकारियों द्वारा काफी विरुपण सहना पडा़ था। इन्होंने बहुमूल्य पत्थर एवं रत्न, तथा लैपिज़ लजू़ली को खोद कर दीवारों से निकाल लिया था। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटिश वाइसरॉय जॉर्ज नैथैनियल कर्ज़न ने एक वृहत प्रत्यावर्तन परियोजना आरंभ की। यह 1908 में पूर्ण हुई। उसने आंतरिक कक्ष में एक बडा़ दीपक या चिराग स्थापित किया, जो काहिरा में स्थित एक मस्जिद जैसा ही है। इसी समय यहाँ के बागों को ब्रिटिश शैली में बदला गया था। वही आज दर्शित हैं। सन् 1942 में, सरकार ने मकबरे के इर्द्-गिर्द, एक मचान सहित पैड़ बल्ली का सुरक्षा कवच तैयार कराया था। यह जर्मन एवं बाद में जापानी हवाई हमले से सुरक्षा प्रदान कर पाए। 1965 एवं 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भी यही किया गया था, जिससे कि वायु बमवर्षकों को भ्रमित किया जा सके। इसके वर्तमान खतरे वातावरण के प्रदूषण से हैं, जो कि यमुना नदी के तट पर है, एवं अम्ल-वर्षा से, जो कि मथुरा तेल शोधक कारखाने से निकले धुंए के कारण है। इसका सर्वोच्च न्यायालय के निदेशानुसार भी कडा़ विरोध हुआ था। 1983 में ताजमहल को युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

पर्यटन

गोधूलि के समय ताज
गोधूलि के समय ताज

ताजमहल प्रत्येक वर्ष 20 से 40 लाख दर्शकों को आकर्षित करता है, जिसमें से 200,000 से अधिक विदेशी होते हैं। अधिकतर पर्यटक यहाँ अक्टूबर, नवंबर एवं फरवरी के महीनों में आते हैं। इस स्मारक के आसपास प्रदूषण फैलाते वाहन प्रतिबन्धित हैं। पर्यटक पार्किंग से या तो पैदल जा सकते हैं, या विद्युत चालित बस सेवा द्वारा भी जा सकते हैं। खवासपुरास को पुनर्स्थापित कर नवीन पर्यटक सूचना केन्द्र की तरह प्रयोग किया जाएगा। [२१][२२] ताज महल के दक्षिण में स्थित एक छोटी बस्ती को ताजगंज कहते हैं। पहले इसे मुमताजगंज भी कहा जाता थ॥ यह पहले कारवां सराय एवं दैनिक आवश्यकताओं हेतु बसाया गया था। [२३] प्रशंसित पर्यटन स्थलों की सूची में ताजमहल सदा ही सर्वोच्च स्थान लेता रहा है। यह सात आश्चर्यों की सूची में भी आता रहा है। अब यह आधुनिक विश्व के सात आश्चर्यों में प्रथम स्थान पाया है। यह स्थान विश्वव्यापी मतदान से हुआ था [२४] जहाँ इसे दस करोड़ मत मिले थे।

सुरक्षा कारणों से [२५] केवल पाँच वस्तुएं - पारदर्शी बोतलों में पानी, छोटे वीडियो कैमरा, स्थिर कैमरा, मोबाइल फोन एवं छोटे महिला बटुए - ताजमहल में ले जाने की अनुमति है।

प्रचलित कथाएं

इस इमारत का निर्माण सदा से प्रशंसा एवं विस्मय का विषय रहा है। इसने धर्म, संस्कृति एवं भूगोल की सीमाओं को पारकर के लोगों के दिलों से वैयक्तिक एवं भावनात्मक प्रतिक्रिया कराई है, जो कि अनेक विद्याभिमानियों द्वारा किए गए मूल्यांकनों से ज्ञात होता है। यहाँ कुछ ताजमहल से जुडी़ प्रचलित कथाएं दी गईं हैं:-[२६]

जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर - ताजमहल का प्रथम यूरोपीय पर्यटक
जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर - ताजमहल का प्रथम यूरोपीय पर्यटक

चित्र:Bullet.PNG  एक पुरानी कथा के अनुसार, शाहजहाँ की इच्छा थी कि यमुना के उस पार भी एक ठीक ऐसा ही , किंतु काला ताजमहल निर्माण हो [२७] जिसमें उसकी कब्र बने। यह अनुमान जीन बैप्टिस्ट टैवर्नियर, प्रथम यूरोपियन ताजमहल पर्यटक, जिसने आगरा 1665 में घूमा था, के कथनानुसार है। उसमें बताया है, कि शाहजहाँ को अपदस्थ कर दिया गया था, इससे पहले कि वह काला ताजमहल बनवा पाए। काले पडे़ संगमर्मर की शिलाओं से, जो कि यमुना के उस पार, माहताब बाग में हैं; इस तथ्य को बल मिलता है। परंतु, 1990 के दशक में की गईं खुदाई से पता चला, कि यह श्वेत संगमर्मर ही थे, जो कि काले पड़ गए थे। [२८] काले मकबरे के बारे में एक अधिक विश्वसनीय कथा 2006 में पुरातत्ववेत्ताओं द्वारा बताई गई, जिन्होंने माहताब बाग में केन्द्रीय सरोवर की पुनर्स्थापना की थी। श्वेत मकबरे की गहरी छाया को स्पष्ट देखा जा सकता था उस सरोवर में। इससे संतुलन या सममिति बनाए रखने का एवं सरोवर की स्थिति ऐसे निर्धारण करने का, कि जिससे प्रतिबिम्ब ठीक उसमें प्रतीत हो; शाहजहाँ का जुनून स्पष्ट दिखाई पड़ता था। [२९]
चित्र:Bullet.PNG  ऐसा भी कहा जाता है, कि शाहजहाँ ने उन कारीगरों के अंगच्छेदन आदि करा दिये थे, या मरवा दिया था, जिन्होंने ताजमहल का निर्माण कराया था। परंतु इसके पूर्ण साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। कुछ लोगों का कहना है, कि ताजमहल के निर्माण से जुडे़ लोगों से यह करारनामा लिखवा लिया गया था, कि वे ऐसे रूप का कोई भी दूसरी इमारत नहीं बनाएंगे। ऐसे ही दावे कई प्रसिद्ध इमारतों के बारे में भी किए जाते रहे हैं। [३०]
चित्र:Bullet.PNG  इस तथ्य के भी कोई साक्ष्य नहीं हैं, कि लॉर्ड विलियम बैन्टिक, भारत के गवर्नर जनरल ने 1830 के दशक में, ताजमहल को ध्वंस कर के उसका संगमर्मर नीलाम करने की योजना बनाई थी। बैन्टिक के जीवनी लेखक, जॉन रॉस्सोली ने कहा है, कि एक कथा उडी़ थी, जब बैन्टिक ने निधि बढा़ने हेतु आगरा के किले का फालतू संगमर्मर नीलाम किया था। [३१]
चित्र:Bullet.PNG  सन 2000 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय श्री पुरुषोत्तम नागेश ओक द्वारा दाखिल अर्जी रद्द कर दी थी, जिसमें यह कहा गया था, कि एक हिंदु राजा ने ताजमहल बनवाया था। [३२] [३०] श्री ओक ने साक्ष्य सहित, यह दावा किया था, कि ताजमहल का उद्गम (मूल इमारत), एवं साथ ही देश की अनेकों एतिहासिक इमारतें, जो आज मुस्लिम सुल्तानों द्वारा निर्मित बताई जाती हैं, असल में उनसे पहले भी यहाँ मौजूद थीं। फलतः यह मूल इमारतें हिंदु राजाओं द्वारा निर्मित हैं। एवं इनका उद्गम हिंदु है।[३३]
चित्र:Bullet.PNG  एक और बहुचर्चित कथा, जो कि काव्यात्मक है, के अनुसार मॉनसून की प्रथम वर्षा में पानी की बूंदें इनकी कब्र पर गिरतीं हैं। जैसा कि गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर के इस मकबरे के वर्णन से प्रेरित है, "एक अश्रु मोती ... समय के गाल पर"। एक अन्य मिथक के अनुसार, यदि शिखर के कलश की छाया को पीटें, तो पानी/ वर्षा आती है। आज तक अधिकारी यहाँ इसकी छाया के इर्द गिर्द टूटी चूडि़यों के टुकडे़ पाते हैं। .[३४]

इन्हें भी देखें

विकिमीडिया कॉमन्स पर: से संबंधित मीडिया है।

टिप्पणी

  1. टाइल आकार, अर्थात पूरा ढाँचा संगमर्मर की छोटी छोटी ईंट रूपी आयताकार टाइलों से ढंका है, ना कि संगमर्मर की सिल्लियों की बडी़- बडी़ पर्तो से।
  2. UNESCO सलाहकार संस्था आँकलन
  3. Tillitson, G.H.R. (1990). Architectural Guide to Mughal India, Chronicle Books
  4. ताजमहल सुलेखन
  5. ५.० ५.१ Koch, p.100
  6. O Soul, thou art at rest. Return to the Lord at peace with Him, and He at peace with you.pbs.org
  7. taj-mahal-travel-tours.com
  8. Begley, Wayne E. (Mar, 1979). "The Myth of the Taj Mahal and a New Theory of Its Symbolic Meaning". The Art Bulletin 61 (1): 14. Retrieved on 2007-07-09. 
  9. Wright, Karen (July), "Moguls in the Moonlight - plans to restore Mehtab Bagh garden near Taj Mahal", Discover
  10. Allan, John [1958]। The Cambridge Shorter History of India (English)। Cambridge: S. Chand, 288 pages।, p.318
  11. The Taj by Jerry Camarillo Dunn Jr
  12. Koch, p. 139
  13. परिसीमित अर्थात दीवारों से घिरी। पुराने नगर प्रायः दीवारों से घिरे होते थे, सुरक्षा कारणों से, जैसे कि दिल्ली, आगरा, जयपुर, आदि।
  14. Chaghtai Le Tadj Mahal p54; Lahawri Badshah Namah Vol.1 p403
  15. Dr. A. Zahoor and Dr. Z. Haq
  16. Who designed the Taj Mahal
  17. William J. Hennessey, Ph.D., Director, Univ. of Michigan Museum of Art. IBM 1999 WORLD BOOK
  18. Marvin Trachtenberg and Isabelle Hyman. Architecture: from Prehistory to Post-Modernism. p223
  19. ISBN 964-7483-39-2
  20. 10877
  21. Koch, p.120
  22. Koch, p.254
  23. Koch, p.201-208
  24. Travel Correspondent (2007-07-09)। New Seven Wonders of the World announced (English)। The Telegraph। अभिगमन तिथि: 2007-07-06।
  25. [1]
  26. Koch, p.231
  27. Asher, p.210
  28. Koch, p.249
  29. Warrior Empire: The Mughals of India (2006) A+E Television Network
  30. ३०.० ३०.१ Koch, p.239
  31. Rosselli, J., Lord William Bentinck the making of a Liberal Imperialist, 1774-1839, London Chatto and Windus for Sussex University Press 1974, p.283
  32. Supreme Court Dismisses Oak's Petition
  33. Oak, Purushottam Nagesh। The True Story of the Taj Mahal (English)। Stephen Knapp। अभिगमन तिथि: 2007-02-23।
  34. Koch, p.240


सन्दर्भ

बाहरी कडि़याँ

चित्र:Bullet.PNG  ताजमहल का इंटरनेट पर वर्चुअल टूर
चित्र:Bullet.PNG  ताजमहल या तेजोमहालय - एक समीक्षा
चित्र:Bullet.PNG  भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण वर्णन
चित्र:Bullet.PNG  विकियात्रा से ताजमहल हेतु यात्रा गाइड।


निर्देशांक: 27°10′30″N, 78°02′32″E

चित्र:Bullet.PNG 

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