महाराणा प्रताप
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महाराणा प्रताप (1542-1597) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर हुआ है। हन्होंने कई वर्ष मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया।
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[संपादित करें] मेवाड का धर्मयोद्धा
जन्म : मई ९, १५४०, कुम्भलगढ, राजस्थान। पिता : महाराणा उदयसिंह, माता : राणी जीवत कँवर। मृत्यु : जनवरी २९, १५९७, चांवंद।
[संपादित करें] बाप्पा रावल के वंशजो का प्रण
हम बाप्पा रावल के वंशंज प्रतीज्ञा लेते है की जब तक चित्तोर हमें वापस नहीं मिलेगी हम जमीन पर तृण पर ही निंद करेगें, महलोमें कभी न रहेगें ओर मीट्टीके बरतन में अन्न लेगें।
[संपादित करें] सन १५७६का हल्दीघाटी युद्द
२०,००० राजपुतों के साथ मुगल सरदार राजा मान सिंह के ८०,००० लडवैये से हल्दीघाटी में भिषण युद्द हुआ। महाराणा प्रताप घेरा गया। शक्ति सिंहने उसे बचा लिया, अश्व चेतक की मृत्यु हुई।
[संपादित करें] भामा शा
मेवाड को जितने अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा की हालत दीन प्रतीदीन चिंतीत हुइ। २५,००० राजपुतों को १२ साल तक चले उतना अनुदान देकर भामा शा भी अमर हुआ।
[संपादित करें] बाप्पा का अमर वीर
राजपुत के नयन कभी नहीं ढलते। २९, जनवरी, १५९७में ५६ साल की आयु में मेवाड के महान अमर वीर के हमेंश के लिये नयन बंध हो गये।