नोआम चाम्सकी
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
यह पृष्ठ किसी और भाषा में लिखा गया है। आप इसका अनुवाद करके विकिपीडिया की मदद कर सकते हैं।
एवरम नोआम चाम्सकी (हीब्रू: אברם נועם חומסקי) (जन्म 7 दिसंबर, 1928) को अमरीका में हुआ था एवं ये अत्यंत प्रमुख भाषावैज्ञानिक, दार्शनिक, राजनैतिक एक्टीविस्ट, लेखक, एवं व्याख्याता हैं। संप्रति वे मसाचुएटस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालजी के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर हैं।
चाम्सकी को जेनेरेटिव ग्रामर के सिद्धांत का प्रतिपादक एवं बीसवीं सदी के भाषाविज्ञान में सबसे बड़ा योगदानकर्ता, माना जाता है। उन्होंने जब मनोविज्ञान के ख्यातिप्राप्त वैज्ञानिक बी एफ स्कीनर के पुस्तक वर्बल बिहेवियर की आलोचना लिखी, जिसमें 1950 के दशक में व्यापक स्वीकृति प्राप्त व्यवहारवाद के सिद्दांत को चुनौती दी, तो इससे काग्नीटिव मनोविज्ञान में एक तरह की क्रांति का सूत्रपात हुआ, जिससे न सिर्फ़ मनोविज्ञान का अध्यन एवं शोध प्रभावित हुआ बल्कि भाषाविज्ञान, समाजशास्त्र, मानवशास्त्र जैसे कई क्षेत्रों में आमूलचूल परिवर्तन आया।
आर्टस ऐंड ह्यूमैनिटिज साइटेशन इंडेक्स के अनुसार 1980-92 के दौरान जितने शोधकर्ताओं एवं विद्वानों ने चाम्सकी को उद्धृत किया है उतना शायद ही किसी जीवित लेखक को किया गया हो। और इतना ही नहीं, वे किसी भी समयावधि में आठवे सबसे बड़े उद्धृत किये जाने वाले लेखक हैं।[१][२][३]
1960 के दशक के वियतनाम युद्ध की आलोचना में लिखी पुस्तक द रिसपांसिबिलिटी आफ इंटेलेक्चुअल्स के बाद चाम्सकी खास तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया के आलोचक एवं राजनीति के विद्वान के रूप में जाने जाने लगे। वामपंथ एवं अमरीका की राजनीति में आज वे एक प्रखर बौद्धिक के रूप मे जाने एवं प्रतिष्ठित किए जाते हैं। अपने राजनैतिक एक्टिविजम एवं अमेरिका की विदेश नीति की प्रखर आलोचना के लिए आज उन्हें पूरी दुनिया में जाना जाता है।
[संपादित करें] जीवनी
चाम्सकी का जन्म अमरीका में फिलाडेल्फिया प्रांत के इस्ट ओक लेन में हुआ था। उनके पिता यूक्रेन में जन्मे श्री विलियम चामस्की (1896-1977) थे जो हीब्रू के शिक्षक एवं विद्वान थे। उनकी माता एल्सी नाम्सकी (शादी से पूर्व सिमनाफ्सकी) बेलारूस से थीं, लेकिन वे अमरीका में ही पली बढी थीं। हलाकि उनकी मातृभाषा यीडिश थी, लेकिन चाम्सकी का कहना है कि घर में यीडिश बोलना गुनाह समझा जाता था। चाम्सकी के अनुसार वे एक "यहूदी घेटो" में रहते थे जो यीडिश और यहूदी घेटो में आंतरिक तौर पर विभक्त था, और उनका परिवार यहूदियों के साथ यहूदी संस्कृति के साथ बसर करता था। चाम्सकी का यह भी कहना है कि 1930 के दशक में अक्सर आयरिश कैथोलिक एवं एवं anti-semitism के बीच उन्होंने खुद काफी तनाव भरी ज़िंदगी गुजारने का अनुभव किया है। "[४]
चामस्की खुद को याद करते हुए कहते हैं कि जहाँ तक उन्हें याद है उन्होंने पहली बार दस साल की उम्र में स्पेन के गृहयुद्ध के दौरान बार्सिलोना के पतन के बाद फासीवाद के प्रसार के भय के बारे में लिखा था। बारह तेरह साल की उम्र में ही उन्होंने खुद को एक खास तरह की राजनीति (अराजकतावाद) से काफी जुड़ा हुआ महसूस करने लगे। [५]
फिलाडेल्फिया के सेंट्रल हाई-स्कूल से 1945 में पास करने के बाद चाम्सकी ने पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र एवं भाषाविज्ञान का अध्यन शुरु किया। यहाँ भाषावैज्ञानिक जेलिंग हैरिस, एवं दार्शनिक वेस्ट चर्चमैन तथा नेल्सन गुडमैन जैसे उदभट विद्वान उनके गुरु थे। चाम्सकी ने अपने भाषावैज्ञानिक गुरु श्री हैरिस से उनके द्वारा प्रतिपादित प्रजनक भाषाविज्ञान के ट्रांसफार्मेशन सिद्धांत को सीखा जिसकी बाद में चाम्सकी ने अपनी व्याख्या की और कांटेक्सट फ्री ग्रामर के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया। कहा जाता है कि चाम्सकी के राजनैतिक विचारों को आधार देने में श्री हैरिस की काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
1949 में चाम्सकी का विवाह भाषावैज्ञानिक कैरोल स्कात्ज से संपन्न हुआ जिनसे उन्हें दो बेटियाँ अवीवा (जन्म 1957) एवं डाएन (जन्म 1960) तथा एक पुत्र हैरी (जन्म 1967) की प्राप्ति हुई।
चाम्सकी को पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय से 1955 में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई। उन्होंने अपने शोध का काफी महत्वपूर्ण हिस्सा हार्वड विश्वविद्यालय से हार्वड जूनियर फेलो के रूप में पूरा किया था। उनके डाक्टरेट उपाधि के लिए किया गया शोध बाद में पुस्तकाकार रूप में 1957 में सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स सामने आया जिसे उस समय तक की श्रेष्ठ पुस्तकों में शुमार किया गया।
1955 में ही चाम्सकी ने एमआईटी यानि मसाचुएट्स तकनीकी संस्थान में नियुक्त हुए और 1961 में उन्हें आधुनिक भाषा एवं भाषाविज्ञान विभाग (अब भाषाविज्ञान एवं दर्शनशास्त्र विभाग) में फुल प्रोफ़ेसर का दर्जा दिया गया। 1966 से 1976 तक वे फेरारी पी वार्ड प्रोफेसर रहे और 1976 में इंस्टीट्यूट प्रोफेसर नियुक्त हुए। 2007 के स्थिति के अनुसार वे लगातार 52 वर्षों तक एमआईटी में प्राध्यापन का काम कर चुके हैं।
फरवरी 1967 में, जब उनका लेख द रिस्पांसिबिलीटी आफ इंटेलेक्चुअल्स प्रकाशित हुआ, चामस्की वियतनाम युद्ध युद्ध के प्रखर आलोचकों मे शामिल हो चुके थे।,[६] द न्यूयार्क रिव्यू आफ बुक्स में. इसके बाद 1969 में उनकी एक और पुस्तक अमेरिकन पावर ऐंड द न्यू मैंडरिन्स आई, जो एक निबंध संग्रह था जिसने उन्हें अमरीकी सत्ता के प्रखर विरोधियों की कतार में ला खड़ा किया। अमरीकी विदेशे नीतियों की उनकी प्रखर आलोचना ने उन्हें अमरीकी मीडिया में काफी विवादास्पद बना दिया। [७][८][९][१०] पूरी दुनिया की मीडिया एवं प्रकाशन जगत में उनकी काफी माँग है।
चाम्स्की को सत्ता प्रतिष्ठानों की ओर से हमेशा भय एवं खतरों का सामना करता है, उन्हें मौत की धमकी तक दी जा चुकी है एवं खुफिया पुलिस हमेशा उनके इर्द-गिर्द रहती है। चामस्की अपने हर पत्र को खोलने से पहले उसकी विस्फोटक जाँच करवाते हैं। [११]
चाम्सकी आजकल अमरिका में मसाचुएट्स प्रांत के लेक्सिंगटन शहर में रहते हैं एवं अपने व्याख्यानों के पूरी दुनिया की सैर पर रहते हैं।
[संपादित करें] भाषाविज्ञान में योगदान
चाम्सकीय भाषाविज्ञान की शुरुआत उनकी पुस्तक सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर्स से हुई मानी जा सकती है जो उनके पीएचडी के शोध, लाजिकल स्ट्रक्चर आफ लिंग्विस्टिक थीयरी (1955, 75) का परिमार्जित रूप था। इस पुस्तक के द्वारा चाम्सकी ने पूर्व स्थापित संरचनावादी भाषावैज्ञानिकों की मान्यताओं को चुनौती देकर ट्रांसफार्मेशनल ग्रामर की बुनियाद रखी। इस व्याकरण ने स्थापित किया कि शब्दों के समुच्य का अपना व्याकरण होता है, जिसे औपचारिक व्याकरण द्वारा निरुपित किया जा सकता है और खासकर संदर्भमुक्त व्याकरण द्वारा जिसे ट्रांसफार्मेशन के नियमों द्वारा व्याख्यित किया जा सकता है।
उन्होंने माना कि प्रत्येक मानव शिशु में व्याकरण की संरचनाओं का एक अंतर्निहित एवं जन्मजात (आनुवांशिक रूप से) खाका होता है जिसे सार्वभौम व्याकरण की संज्ञा दी गयी। ऐसा तर्क दिया जाता है कि भाषा के ज्ञान का औपचारिक व्याकरण के द्वारा माडलिंग करने पर भाषा उत्पादकता के बारें में काफी जानकारी इकट्ठा की जा सकती है, जिसके अनुसार व्याकरण के सीमित नियमों द्वारा कैसे असीमित वाक्य निर्माण कैसे संभव हो पाता है। चामस्की ने प्राचीन भारतीय वैय्याकरण पाणिनी के प्राचीन जेनेरेटिव ग्रामर के नियमों के महत्व भी स्वीकृत करते हैं। ]
चाम्सकी ने अपने प्रिंसिपल्स ऐंड पैरामीटरस का माड्ल अपने पीसा के व्याख्यान के बाद 1979 में विकसित की थी जो बाद में लेक्चर्स आन गवर्नमेंट ऐंड बाइंडिंग के नाम से प्रकाशित हुई। इसमें चाम्सकी ने सार्वभौम व्याकरण के बारे में काफी अकाट्य दावे एवं तर्क पेश किये:-(LGB)—make strong claims regarding universal grammar: that the grammatical principles underlying languages are innate and fixed, and the differences among the world's languages can be characterized in terms of parameter settings in the brain (such as the pro-drop parameter, which indicates whether an explicit subject is always required, as in English, or can be optionally dropped, as in Spanish), which are often likened to switches. (Hence the term principles and parameters, often given to this approach.) In this view, a child learning a language need only acquire the necessary lexical items (words, grammatical morphemes, and idioms), and determine the appropriate parameter settings, which can be done based on a few key examples.
Proponents of this view argue that the pace at which children learn languages is inexplicably rapid, unless children have an innate ability to learn languages. The similar steps followed by children all across the world when learning languages, and the fact that children make certain characteristic errors as they learn their first language, whereas other seemingly logical kinds of errors never occur (and, according to Chomsky, should be attested if a purely general, rather than language-specific, learning mechanism were being employed), are also pointed to as motivation for innateness.
More recently, in his Minimalist Program (1995), while retaining the core concept of "principles and parameters", Chomsky attempts a major overhaul of the linguistic machinery involved in the LGB model, stripping from it all but the barest necessary elements, while advocating a general approach to the architecture of the human language faculty that emphasizes principles of economy and optimal design, reverting to a derivational approach to generation, in contrast with the largely representational approach of classic P&P.
Chomsky's ideas have had a strong influence on researchers investigating the acquisition of language in children, though someसाँचा:Specify researchers who work in this area today do not support Chomsky's theories, instead advocating emergentist or connectionist theories reducing language to an instance of general processing mechanisms in the brain.
He also theorizes that unlimited extension of a language such as English is possible only by the recursive device of embedding sentences in sentences.
[संपादित करें] जेनेरेटिव ग्रामर
The Chomskyan approach towards syntax, often termed generative grammar, studies grammar as a body of knowledge possessed by language users. Since the 1960s, Chomsky has maintained that much of this knowledge is innate, implying that children need only learn certain parochial features of their native languages.[१२] The innate body of linguistic knowledge is often termed Universal Grammar. From Chomsky's perspective, the strongest evidence for the existence of Universal Grammar is simply the fact that children successfully acquire their native languages in so little time. He argues that the linguistic data to which children have access radically underdetermine the rich linguistic knowledge which they attain by adulthood (the "poverty of the stimulus" argument).
Chomsky's theories are still popular, particularly in the United States, but they have never been free from controversy. Criticism has come from a number of different directions. Chomskyan linguists rely heavily on the intuitions of native speakers regarding which sentences of their languages are well-formed. This practice has been criticized both on general methodological grounds, and because it has (some argue) led to an overemphasis on the study of English. As of now, hundreds of different languages have received at least some attention in the generative grammar literature,[१३][१४][१५][१६][१७] but some critics nonetheless perceive this overemphasis, and a tendency to base claims about Universal Grammar on an overly small sample of languages. Some psychologists and psycholinguists, though sympathetic to Chomsky's overall program, have argued that Chomskyan linguists pay insufficient attention to experimental data from language processing, with the consequence that their theories are not psychologically plausible. More radical critics have questioned whether it is necessary to posit Universal Grammar in order to explain child language acquisition, arguing that domain-general learning mechanisms are sufficient.
Today there are many different branches of generative grammar; one can view grammatical frameworks such as head-driven phrase structure grammar, lexical functional grammar and combinatory categorical grammar as broadly Chomskian and generative in orientation, but with significant differences in execution.
Cultural anthropologist and linguist Daniel Everett of Illinois State University has proposed that the language of the Pirahã people of the northwestern rainforest of Brazil resists Chomsky's theories of generative grammar. Everett asserts that the Pirahã language does not have any evidence of recursion, one of the key properties of generative grammar. Additionally, it is claimed that the Pirahan have no fixed words for colors or numbers, speak in single phonemes, and often speak in prosody.[१८] However, Everett's claims have themselves been criticized. David Pesetsky of MIT, Andrew Nevins of Harvard, and Cilene Rodrigues of the Universidade Estadual de Campinas in Brazil have argued in a joint paper that all of Everett's major claims contain serious deficiencies.[१९] The dispute continues, pending further field research and analysis.[२०]
[संपादित करें] चाम्स्कियन हाइरेरकी
साँचा:Unreferencedsection Chomsky is famous for investigating various kinds of formal languages and whether or not they might be capable of capturing key properties of human language. His Chomsky hierarchy partitions formal grammars into classes, or groups, with increasing expressive power, i.e., each successive class can generate a broader set of formal languages than the one before. Interestingly, Chomsky argues that modeling some aspects of human language requires a more complex formal grammar (as measured by the Chomsky hierarchy) than modeling others. For example, while a regular language is powerful enough to model English morphology, it is not powerful enough to model English syntax. In addition to being relevant in linguistics, the Chomsky hierarchy has also become important in computer science (especially in compiler construction and automata theory).
ध्वनि विज्ञान में उनका सबसे अच्छा काम द साउंड पैटर्न आफ इंग्लिश है, जो उन्होंने मारिस हाले के साथ मिलकर किया था। (जिसे अक्सर SPE के नाम से जाना जाता है).
[संपादित करें] मनोविज्ञान में योगदान
भाषाविज्ञान में चाम्सकी के शोधों का सबसे ज्यादा प्रभाव मनोविज्ञान में पड़ा। [२१] For Chomsky, linguistics is a branch of cognitive psychology; genuine insights in linguistics imply concomitant understandings of aspects of mental processing and human nature. His theory of a universal grammar was seen by many as a direct challenge to the established behaviorist theories of the time and had major consequences for understanding how language is learned by children and what, exactly, the ability to use language is. Many of the more basic principles of this theory (though not necessarily the stronger claims made by the principles and parameters approach described above) are now generally accepted in some circles.साँचा:Dubious
In 1959, Chomsky published an influential critique of B.F. Skinner's Verbal Behavior, a book in which Skinner offered a speculative explanation of language in behavioral terms. "Verbal behavior" he defined as learned behavior which has its characteristic consequences being delivered through the learned behavior of others; this makes for a view of communicative behaviors much larger than that usually addressed by linguists. Skinner's approach focused on the circumstances in which language was used; for example, asking for water was functionally a different response than labeling something as water, responding to someone asking for water, etc. These functionally different kinds of responses, which required in turn separate explanations, sharply contrasted both with traditional notions of language and Chomsky's psycholinguistic approach. Chomsky thought that a functionalist explanation restricting itself to questions of communicative performance ignored important questions. (Chomsky-Language and Mind, 1968). He focused on questions concerning the operation and development of innate structures for syntax capable of creatively organizing, cohering, adapting and combining words and phrases into intelligible utterances.
In the review Chomsky emphasized that the scientific application of behavioral principles from animal research is severely lacking in explanatory adequacy and is furthermore particularly superficial as an account of human verbal behavior because a theory restricting itself to external conditions, to "what is learned", cannot adequately account for generative grammar. Chomsky raised the examples of rapid language acquisition of children, including their quickly developing ability to form grammatical sentences, and the universally creative language use of competent native speakers to highlight the ways in which Skinner's view exemplified under-determination of theory by evidence. He argued that to understand human verbal behavior such as the creative aspects of language use and language development, one must first postulate a genetic linguistic endowment. The assumption that important aspects of language are the product of universal innate ability runs counter to Skinner's radical behaviorism.
Chomsky's 1959 review has drawn fire from a number of critics, the most famous criticism being that of Kenneth MacCorquodale's 1970 paper On Chomsky’s Review of Skinner’s Verbal Behavior (Journal of the Experimental Analysis of Behavior, volume 13, pages 83–99). This and similar critiques have raised certain points not generally acknowledged outside of behavioral psychology, such as the claim that Chomsky did not possess an adequate understanding of either behavioral psychology in general, or the differences between Skinner's behaviorism and other varieties; consequently, it is argued that he made several serious errors. On account of these perceived problems, the critics maintain that the review failed to demonstrate what it has often been cited as doing. As such, it is averred that those most influenced by Chomsky's paper probably either already substantially agreed with Chomsky or never actually read it. Chomsky has maintained that the review was directed at the way Skinner's variant of behavioral psychology "was being used in Quinean empiricism and naturalization of philosophy".[२२]
It has been claimed that Chomsky's critique of Skinner's methodology and basic assumptions paved the way for the "cognitive revolution", the shift in American psychology between the 1950s through the 1970s from being primarily behavioral to being primarily cognitive. In his 1966 Cartesian Linguistics and subsequent works, Chomsky laid out an explanation of human language faculties that has become the model for investigation in some areas of psychology. Much of the present conception of how the mind works draws directly from ideas that found their first persuasive author of modern times in Chomsky.
There are three key ideas. First is that the mind is "cognitive", or that the mind actually contains mental states, beliefs, doubts, and so on. Second, he argued that most of the important properties of language and mind are innate. The acquisition and development of a language is a result of the unfolding of innate propensities triggered by the experiential input of the external environment. The link between human innate aptitude to language and heredity has been at the core of the debate opposing Noam Chomsky to Jean Piaget at the Abbaye de Royaumont in 1975 (Language and Learning. The Debate between Jean Piaget and Noam Chomsky, Harvard University Press, 1980). Although links between the genetic setup of humans and aptitude to language have been suggested at that time and in later discussions, we are still far from understanding the genetic bases of human language. Work derived from the model of selective stabilization of synapses set up by Jean-Pierre Changeux, Philippe Courrège and Antoine Danchin,[२३] and more recently developed experimentally and theoretically by Jacques Mehler and Stanislas Dehaene in particular in the domain of numerical cognition lend support to the Chomskyan "nativism". It does not, however, provide clues about the type of rules that would organize neuronal connections to permit language competence. Subsequent psychologists have extended this general "nativist" thesis beyond language. Lastly, Chomsky made the concept of "modularity" a critical feature of the mind's cognitive architecture. The mind is composed of an array of interacting, specialized subsystems with limited flows of inter-communication. This model contrasts sharply with the old idea that any piece of information in the mind could be accessed by any other cognitive process (optical illusions, for example, cannot be "turned off" even when they are known to be illusions).
[संपादित करें] विज्ञान की सांस्कृतिक आलोचना पर उनके विचार
Chomsky strongly disagrees with post-structuralist and postmodern criticisms of science:
I have spent a lot of my life working on questions such as these, using the only methods I know of; those condemned here as "science", "rationality", "logic" and so on. I therefore read the papers with some hope that they would help me "transcend" these limitations, or perhaps suggest an entirely different course. I'm afraid I was disappointed. Admittedly, that may be my own limitation. Quite regularly, "my eyes glaze over" when I read polysyllabic discourse on the themes of poststructuralism and postmodernism; what I understand is largely truism or error, but that is only a fraction of the total word count. True, there are lots of other things I don't understand: the articles in the current issues of math and physics journals, for example. But there is a difference. In the latter case, I know how to get to understand them, and have done so, in cases of particular interest to me; and I also know that people in these fields can explain the contents to me at my level, so that I can gain what (partial) understanding I may want. In contrast, no one seems to be able to explain to me why the latest post-this-and-that is (for the most part) other than truism, error, or gibberish, and I do not know how to proceed.
चाम्सकी का मानना है कि मानव सभ्यता का इतिहास जानने एवं मानव को समझने के लिए विज्ञान की समझ जरूरी है:
मुझे लगता है कि विज्ञान का अध्यन इतिहास समझने की दिशा में अच्छी शुरुआत हो सकती है क्योंकि विज्ञान के अध्यन से आप तर्क, प्रमाण इत्यादि को समझ सकते हैं, आपको विज्ञान के अध्यन से यह समझ आती है कि कौन सी अवधारणा किस आधार पर बनानी चाहिए और वह कितनी सही हो सकती है। आप जहाँ विज्ञान के अध्यन से विभिन्न तार्किक निष्पत्तियों को समझ सकते हैं वहीं अगर आप इतिहास में सापेक्षता सिद्धांत का प्रयोग करना चाह्ते हैं तो यह आपको कहीं नहीं ले जा सकता। इसलिए विज्ञान को आप सोचने का एक तरीका मान सकते हैं।[२४]
Chomsky has also commented on critiques of "white male science", stating that they are much like the antisemitic and politically motivated attacks against "Jewish physics" used by the Nazis to denigrate research done by Jewish scientists during the Deutsche Physik movement:
In fact, the entire idea of "white male science" reminds me, I'm afraid, of "Jewish physics". Perhaps it is another inadequacy of mine, but when I read a scientific paper, I can't tell whether the author is white or is male. The same is true of discussion of work in class, the office, or somewhere else. I rather doubt that the non-white, non-male students, friends, and colleagues with whom I work would be much impressed with the doctrine that their thinking and understanding differ from "white male science" because of their "culture or gender and race." I suspect that "surprise" would not be quite the proper word for their reaction.[२५]
[संपादित करें] राजनैतिक विचार
साँचा:Anarchism Chomsky has stated that his "personal visions are fairly traditional anarchist ones, with origins in The Enlightenment and classical liberalism"[२६] and he has praised libertarian socialism.[२७] He is a sympathizer of anarcho-syndicalism[२८] and a member of the IWW union.[२९] He has published a book on anarchism titled, "Chomsky on Anarchism", which was published by the anarchist book collective, AK Press, in 2006.
Noam Chomsky has been engaged in political activism all of his adult life and expressed opinions on politics and world events which are widely cited, publicized and discussed. Chomsky has in turn argued that his views are those which the powerful do not want to hear, and for this reason he is considered an American political dissident. Some highlights of his political views:
- Power, unless justified, is inherently illegitimate. The burden of proof is on those in authority to demonstrate why their elevated position is justified. If this burden can't be met, the authority in question should be dismantled. Authority for its own sake is inherently unjustified. An example of a legitimate authority is that exerted by an adult to prevent a young child from wandering into traffic.[३०]
- That there isn't much difference between slavery, and renting one's self to an owner, or "wage slavery." He feels that it is an attack on personal integrity that destroys and undermines our freedoms. He holds that those that work in the mills should run them.
- Very strong criticisms of the foreign policy of the United States. Specifically, he denounces the double standards (which he labels the "single standard") of the US government, which result in massive human rights violations. Chomsky argues that while the U.S. may preach democracy and freedom for all, the U.S. has a history of promoting, supporting and allying itself with non-democratic and repressive organizations and states. He often argues that America's intervention in foreign nations, including the secret aid given to the Contras in Nicaragua, an event of which he has been very critical, fits any standard description of terrorism [8].
- He has argued that the mass media in the United States largely serve as a propaganda arm and "bought priesthood" of the U.S. government and U.S. corporations, with the three parties all largely intertwined through common interests. In a famous reference to Walter Lippmann, Chomsky along with his coauthor, Edward S. Herman has written that the American media manufactures consent among the public.
- He has opposed the U.S. global "war on drugs", demonstrating its language to be misleading, and referring to it as "the war on certain drugs." He favors education and prevention rather than military or police action as a means of reducing drug use.[३१] In an interview in 1999, Chomsky argued that, whereas crops such as tobacco receive no mention in governmental exposition, other non-profitable crops, such as marijuana, are specifically targeted due to the effect achieved by persecuting the poor.[३२]
- "US domestic drug policy does not carry out its stated goals, and policymakers are well aware of that. If it isn't about reducing substance abuse, what is it about? It is reasonably clear, both from current actions and the historical record, that substances tend to be criminalized when they are associated with the so-called dangerous classes, that the criminalization of certain substances is a technique of social control."[३३]
- Critical of the American capitalist system and big business, he describes himself as a libertarian socialist who sympathizes with anarcho-syndicalism and is highly critical of Leninist branches of socialism. He also believes that libertarian socialist values exemplify the rational and morally consistent extension of original unreconstructed classical liberal and radical humanist ideas to an industrial context. Specifically he believes that society should be highly organized and based on democratic control of communities and work places. He believes that the radical humanist ideas of his two major influences, Bertrand Russell and John Dewey, were "rooted in the Enlightenment and classical liberalism, and retain their revolutionary character."[३४]
- Chomsky has stated that he believes the United States remains the "greatest country in the world,"[३५] a comment that he later clarified by saying, "Evaluating countries is senseless and I would never put things in those terms, but that some of America's advances, particularly in the area of free speech, that have been achieved by centuries of popular struggle, are to be admired."[३६]
- According to Chomsky: "I'm a boring speaker and I like it that way…. I doubt that people are attracted to whatever the persona is…. People are interested in the issues, and they're interested in the issues because they are important."[३७] "We don't want to be swayed by superficial eloquence, by emotion and so on."[३८]
- He holds views that can be summarized as anti-war but not strictly pacifist. He prominently opposed the Vietnam War and most other wars in his lifetime. However, he maintains that U.S. involvement in World War II was probably justified, with the caveat that a preferable outcome would have been to end or prevent the war through earlier diplomacy. In particular, he believes that the dropping of nuclear bombs on Hiroshima and Nagasaki were "among the most unspeakable crimes in history."[३९]
- He has a broad view of free-speech rights, especially in the mass media; he opposes censorship and refuses to take legal action against those who may have libeled him.
Chomsky has frequently stated that there is no connection between his work in linguistics and his political views, and is generally critical of the idea that competent discussion of political topics requires expert knowledge in academic fields. In a 1969 interview, he said regarding the connection between his politics and his work in linguistics:
- I still feel myself that there is a kind of tenuous connection. I would not want to overstate it but I think it means something to me at least. I think that anyone's political ideas or their ideas of social organization must be rooted ultimately in some concept of human nature and human needs. (New Left Review, 57, Sept. – Oct. 1969, p. 21)
On September 20, 2006, Venezuelan President Hugo Chávez recommended Chomsky's book, Hegemony or Survival: America's Quest for Global Dominance, during his speech at the U.N. General Assembly. Chávez stated that it was a good book to read because it demonstrates why the greatest danger to world peace currently is the United States.[४०]
[संपादित करें] इतर क्षेत्रों में चाम्सकी का प्रभाव
चामस्कियन भाषाविज्ञान के माडल्स भाषाविज्ञान के अतिरिक्त कई अन्य विषयों के सैद्धांतिक क्षेत्र का अध्यन करते समया पढाया जाता है। चाम्सकी हायरेरकी को कम्प्यूटर विज्ञान के प्रारंभिक कक्षाओं में खासकर पढाया जाता है क्योंकि इससे कृत्रिम भाषाओं (जैसे कम्प्यूटर के प्रोग्रामिंग की भाषाएँ) इत्यादि को समझने में काफी सहूलियत मिलती है। चाम्सकी हायरेरकी को गणितिय संदर्भों में भी समझा जा सकता है[४१] एवं इसने गणित के विद्वानों में विशेष रुचि जगाई है। विकासवादी मनोविज्ञान के क्षेत्र में काफी सारे शोध चाम्सकी के शोध एवं शिक्षण से प्रेरित हुए हैं। [४२]
1984 में चिकित्सा विज्ञान एवं शरीर विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेता श्री नील्स काज जेरने ने चाम्सकी के जेनेरेटिव माडल का प्रयोग हमारे शरीर में स्थित प्रोटीन संरचनाओं के गठन एवं शरीर की प्रतिरक्षा में उसके महत्व को समझाने के लिए किया था, उनके शोध का विषय था द जेनेरेटिव ग्रामर आफ इम्यून सिस्टम।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में जानवरों द्वारा भाषा अधिग्रहण (भाषा सीखने की प्रक्रिया) के उपर हो रहे शोध प्रक्रिया में जिस चिंपाजी का इस्तेमाल किया उसका नाम इस क्षेत्र में चाम्सकी के योगदान को देखते हुए निम चिंप्सकी रखा था।
प्रसिद्ध कम्प्यूटर वैज्ञानिक डोनाल्ड क्नूथ तो यहाँ तक कहते हैं कि मैं तो चाम्सकी कि किताब 'सिंटैक्टिक स्ट्रक्चर से इतना प्रभावित हुआ कि 1961 में अपने हनीमून के दौरान उसे अपने साथ रखता था और अक्सर सोचता था कि …भाषा के इस गणितिय व्याख्या का प्रयोग मैं प्रोग्रामन के लिए कैसे कर सकता हूँ।
चाम्सकी के अन्य कार्यों में महत्वपूर्ण काम मास मीडिया की व्याख्या का काम रहा है जिसकी वजह से मीडिया के क्षेत्र में (खासकर अमरीकी मीडिया) उसके गठन, कार्यप्रणाली एवं सीमाएँ काफी खुलकर सामने आयीं और बहस का बड़ा मुद्दा बनीं।
एडवर्ड सईद एवं चाम्सकी की किताब मैन्यूफैक्चरिंग कांसेंट-द पालिटिकल इकानमी आफ मास मीडिया जो 1988 में प्रकाशित हुई, उसमें मीडिया के प्रोपोगैंडा माडल की विशद चर्चा की गयी और इसे कई दृष्टांतों के माध्यम से इसकी विवेचना की गयी। इस माडल के अनुसार अमरीका जैसी लोकतांत्रिक समाज में सत्ता एवं मीडिया अपने नियंत्रण को स्थापित करने के लिए अत्यंत सूक्ष्म,अहिंसक सूत्रों का सहारा लेती है न कि खुले बलप्रयोग इत्यादि की।
[संपादित करें] अकादमिक उपलब्धियाँ, सम्मान, एवं पुरस्कार
चाम्सकी के अकादमिक एवं अन्य व्याख्यान पूरी दुनिया में हर वर्ष होते रहते हैं, इनमें से कुछ नीचे दिये गये हैं जो काफी याद किये जाते हैं।
- 1969 में जान लाक संभाषण आक्सफोर्ड विश्वविद्याल्य
- जनवरी 1970 में बट्रेड रसेल स्मारक संभाषण कैंब्रिज विश्वविद्यलय
- 1972 में नेहरू स्मारक व्याख्यान नयी दिल्ली में
- 1977 में हुइजिंग संभाषण लेदेन में
- 1988 में मेसी संभाषण टोरंटो विश्वविद्यालय में। शीर्षक "नेसेसरी इल्यूजन्स: थाट कंट्रोल इन डेमोक्रैटिक सोशायटीज".
- 1997 में अकादमिक स्वतंत्रता पर देइव स्मारक व्याख्यान केप टाउन में।[४३] अन्य व्याख्यान[४४]
चाम्सकी को पूरी दुनिया के कई विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों ने मानद उपाधियाँ प्रदान की हैं, प्रमुख संस्थानों में कुछ का नाम नीचे उल्लेख किया जा रहा है:
|
|
|
श्री चाम्सकी अमेरिकन अकेडमी आफ आर्ट्स ऐंड साइंसेज, नेशनल अकेडमी आफ साइंसेज, एवं अमेरिकन फिलासाफिकल सोशायटी के साथ-साथ देश-विदेश में बहुत से अन्य प्रतिष्ठित संस्थाओं के सम्माननीय सदस्य हैं। उन्हें अमेरिकन साइकोलाजिकल अशोशिएशन द्वारा विशेष वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें क्योतो पुरस्कार, हेल्महोल्त्ज मेडल, डोरोदी एलरिज पीसमेकर पुरस्कार एवं बेन फ्रैंकलिन मेडल इत्यादि से भी सम्मानित किया जा चुका है। [४५] उन्हें नेशनल काउंसिल आफ टीचर्स आफ इंग्लिश द्वारा सार्वजनिक भाषा में शुचिता एवं इमानदारी लाने के लिए दो बार आरवेल पुरस्कार भी दिया गया है।[४६]
वे सर्बियाई विज्ञान एवं कला अकादमी के सामाजिक विज्ञान विभाग के सदस्य भी हैं।[४७]
सन 2007 में कार्लोस लिनेउस की स्मृति में श्री चामस्की को स्वीडन के उपासला विश्वविद्यालय ने डाक्टरेट की मानद उपाधि से विभूषित किया।[४८]
ब्रिटिश पत्रिका प्रास्पेक्ट द्वारा कराये गये ग्लोबल इंटेलेक्चुअल पोल में सन 2005 में जब चाम्स्की को दुनिया का सबसे अग्रणी जीवित विद्वान बताया गया तो उनकी प्रतिक्रिया थी-, "मैं सर्वेक्षणों पर बहुत ध्यान नहीं देता".[४९] न्यू स्टेट्समैन पत्रिका द्वारा 2006 में करवाये गये एक सर्वेक्षण के "हमारे समय के नायक" वर्ग में सातवाँ स्थान प्राप्त हुआ था।.[५०]
[संपादित करें] चामस्की पर विभिन्न लेखक
[संपादित करें] जीवनी
- बार्स्की, राबर्ट (1997)। नोआम चाम्सकी: ए लाइफ आफ डिसेंट। कैम्ब्रिज: एमआईटी प्रेस। ISBN 0262522551। 2006-09-05।
- लायंस, जौन (1970)। "नोआम चाम्सकी (माडर्न मास्टर्स)"। न्यूयार्क: वाइकिंग प्रेस। ISBN 0670019119।
- स्प्रेलिख, बी वोल्फगैंग (2006)। नोआम चाम्सकी। लंदन: रियेक्शन(Reaktion) बुक्स। ISBN 1861892691। 2006-09-05।
[संपादित करें] अन्य पुस्तक
- राय, मिलन (1995)। [Broken चाम्स्कीज पालिटिक्स]। वेर्सो। ISBN 1859840116। 2006-09-05।
- गोल्डस्मिथ, जौन (1998). "रिव्यू आफ नोआम चाम्सकी: ए लाइफ आफ डिसेंट, राबर्ट बार्स्की कृत". जर्नल आफ द हिस्ट्री आफ बिहैवियोरल सांइसेज 34 (2): 173–180. Retrieved on 2006-09-04.
- द्रेसोवित्ज, एलन (10 मई, 2002). "चाम्सकीज इमोरल डाइवेस्चर पोजीशन". द टेक 122 (25). Retrieved on 2006-09-04.
- राय, अरुंधति (2003-08-24). "द लोनलीनेस आफ नोआम चाम्सकी". द हिन्दू. Retrieved on 2006-09-05.
- (2004) Collier, Peter; Horowitz, David The Anti-Chomsky Reader। Encounter Books। ISBN 189355497X।
- Pateman, Trevor (2004). Wittgensteinians and Chomskyans: In Defence of Mentalism, Language in Mind and Language in Society.
- ब्लैकबर्न, राबिन; ओलिवर कैम (नवंबर 2005). "फार ऐंड अगेंस्ट चाम्सकी" (पीडीएफ़). प्रास्पेक्ट (116). Retrieved on 04 सितंबर 2006.
- (2005) जेम्स मैगिलवेरी द कैम्ब्रिज ओपिनिय्न टू चाम्सकी। कैम्ब्रिज, यूके; न्यूयार्क: कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस। DOI:10.2277/0521780136। ISBN 0521780136।
- Paradis, Michel (2005). Review of Government in the Future, by Noam Chomsky. आक्सोनियन रिव्यू आफ बुक्स 2005 4.3: 4–5
- Schoneberger, T. (2000). A Departure from cognitivism: Implications of Chomsky's second revolution in linguistics. The Analysis of Verbal Behavior, 17, 57–73.
- स्पर्लिख, बी वोल्फगैंग (2006)। नोआम चाम्सकी। लंदन: रियेक्शन(Reaktion) बुक्स। ISBN 1861892691। 05 सितंबर 2006।
[संपादित करें] ग्रंथ सूची
[संपादित करें] भाषाविज्ञान
संपूर्ण ग्रंथ-सूची के लिए एमआईटी के जालस्थल पर देखें [9].
- चाम्सकी (1951). Morphophonemics of Modern Hebrew. Master's thesis, University of Pennsylvania.
- चाम्सकी (1955). Logical Structure of Linguistic Theory.
- चाम्सकी (1955). Transformational Analysis. Ph.D. dissertation, University of Pennsylvania.
- चाम्सकी, Noam, Morris Halle, and Fred Lukoff (1956). "On accent and juncture in English." In For Roman Jakobson. The Hague: Mouton
- चाम्सकी (1957). Syntactic Structures. The Hague: Mouton. Reprint. Berlin and New York (1985).
- चाम्सकी (1964). Current Issues in Linguistic Theory.
- चाम्सकी (1965). Aspects of the Theory of Syntax. Cambridge: The MIT Press.
- चाम्सकी (1965). Cartesian Linguistics. New York: Harper and Row. Reprint. Cartesian Linguistics. A Chapter in the History of Rationalist Thought. Lanham, Maryland: University Press of America, 1986.
- चाम्सकी (1966). Topics in the Theory of Generative Grammar.
- चाम्सकी, Noam, and Morris Halle (1968). The Sound Pattern of English. New York: Harper & Row.
- चाम्सकी (1968). Language and Mind.
- चाम्सकी (1972). Studies on Semantics in Generative Grammar.
- चाम्सकी (1975). The Logical Structure of Linguistic Theory.
- चाम्सकी (1975). Reflections on Language.
- चाम्सकी (1977). Essays on Form and Interpretation.
- चाम्सकी (1979). Morphophonemics of Modern Hebrew.
- चाम्सकी (1980). Rules and Representations.
- चाम्सकी (1981). Lectures on Government and Binding: The Pisa Lectures. Holland: Foris Publications. Reprint. 7th Edition. Berlin and New York: Mouton de Gruyter, 1993.
- चाम्सकी (1982). Some Concepts and Consequences of the Theory of Government and Binding.
- चाम्सकी (1982). Language and the Study of Mind.
- चाम्सकी (1982). Noam Chomsky on The Generative Enterprise, A discussion with Riny Hyybregts and Henk van Riemsdijk.
- चाम्सकी (1984). Modular Approaches to the Study of the Mind.
- चाम्सकी (1986). Knowledge of Language: Its Nature, Origin, and Use.
- चाम्सकी (1986). Barriers. Linguistic Inquiry Monograph Thirteen. Cambridge, MA and London: The MIT Press.
- चाम्सकी (1993). Language and Thought.
- चाम्सकी (1995). The Minimalist Program. Cambridge, MA: The MIT Press.
- चाम्सकी (1998). On Language.
- चाम्सकी (2000). New Horizons in the Study of Language and Mind.
- चाम्सकी (2000). The Architecture of Language (Mukherji, et al, eds.).
- चाम्सकी (2001). On Nature and Language (Adriana Belletti and Luigi Rizzi, ed.).
- चाम्सकी, N. & Place, U.T. (2000). "The Chomsky-Place correspondence 1993–1994". Edited, with an introduction and suggested readings, by T. Schoneberger. The Analysis of Verbal Behavior, 17, 7–38.
[संपादित करें] कम्प्यूटर विज्ञान
- Chomsky (1956). Three models for the description of language. I.R.E. Transactions on Information Theory, vol. IT-2, no. 3: 113–124.
[संपादित करें] राजनीति
- (1967). द रिस्पांसिबिलिटी आफ इंटेलेक्चुअल्स
- (1969). अमेरिकन पावर ऐंड द न्यू मैंडरिन्स
- (1970). "नोट्स आन अनार्किज्म", न्यूयार्क रिव्यू आफ बुक्स
- (1970). एट वार विद एशिया
- (1970). टू एसेज आन कंबोडिया
- (1971). चाम्सकी: सेलेक्टेड रीडिंग्स
- (1971). प्राब्लम्स आफ नालेज ऐंड फ्रीडम
- (1973). फार रीजन्स आफ स्टेट
- (1973). सेंसर्ड फुल टेक्स्ट काउंटर रिवोल्यूशनरी वायलेंस: ब्लड-बाथ इन फैक्ट ऐंड प्रोपोगैंडा (एडवर्ड हर्मन के साथ)
- (1974). पीस इन द मिड्ल-ईस्ट? रिफ्लेक्शंस आन जस्टीस ऐंड नेशनहुड
- (1976). इंटेलेक्चुअल्स ऐंड द स्टेट
- (1978). ह्यूमन राईट्स ऐंड द अमेरिकन फारेन पालिसी
- (1979). लैंग्वेज ऐंड रिस्पांसिबिलिटी
- (1979). द पालिटिकल इकानमी आफ ह्यूमन राईट्स, वाल्यूम I: द वाशिंगटन कनेक्शन ऐंड थर्ड वर्ल्ड फासिज्म (सहलेखक: एडवर्ड हर्मन)
- (1979). द पालिटिकल इकानमी आफ ह्यूमन राईट्स वाल्यूम II: आफ्टर द कैटाक्लिज्म: पोस्ट-वार इंडोचाईना ऐंड द रीकंस्ट्रक्शन आफ इंपीरियल आइडियोलजी (सहलेखक: एडवर्ड हर्मन)
- (1981). रैडिकल प्रायोरिटिज
- (1982). सुपरपावर्स इन कोलिजन: द कोल्ड वार नाऊ
- (1982). टुवार्डस अ न्यू कोल्ड वार: एसेज आन द करंट क्राइसिस अन्द हाउ वी गाट देयर
- (1983). द फैक्टफुल ट्रायंगल: द युनाईटेड स्टेट्स, इजरायल, ऐंड द पेलेस्टिनियन्स
- (1985). टर्निंग द टाईड: यूएस इंटरवेन्शन इन द सेंट्रल अमेरिका ऐंड द स्ट्रगल फार पीस
- (1986). पाइरेट्स ऐंड द एम्परर्स: इंटरनेशनल टेरेरिज्म इन द रियल वर्ल्ड
- (1986). द रेस टू डिस्ट्रक्शन: इट्स रैशनल बेसिस
- (1987). द चाम्सकी रीडर
- (1987). आन पावर ऐंड आइडियोलजी
- (1987). टर्निंग द टाईड: द यूएस ऐंड द लैटिन अमेरिका
- (1988). द कल्चर आफ टेरेरिज्म
- (1988). लैंग्वेज ऐंड पालिटिक्स
- (1988). मैन्यूफैक्चरिंग कान्सेन्ट: द पालिटिकल इकानमी आफ द मास मीडिया (सहलेखक: एडवर्ड हर्मन)
- (1989). नेसेसरी इल्यूजन्स
- (1991). टेरेराइजिंग द नेबरहुड
- (1992). व्हाट अंकल सैम रियली वांट्स
- (1992). क्रोनिकल्स आफ डिसेंट
- (1992). डेटरिंग डेमोक्रैसी
- (1993). लेटर्स फ्राम लेक्सिंगटन: रिफ्लेक्शन्स आन प्रोपोगैंडा
- (1993). द प्रास्पेरस फ्यू अन्द थे रेस्टलेस मेनी
- (1993). रीथिंकिंग कैमलट: जेएफके, द वियतनाम वार, ऐंड द यूएस पालिटिकल कल्चर
- (1993). वर्ल्ड आर्डर ऐंड इट्स रूल्स: वेरियेशंस आन सम थीम्स
- (1993). इयर 501: द कांक्वेस्ट कंटीन्यूज
- (1994). कीपिंग द रैबल इन लाईन
- (1994). सिकरेट्स, लाइज, ऐंड डेमोक्रैसी
- (1994). वर्ल्ड आर्डर्स, ओल्ड अन्द न्यू
- (1996). पावर्स ऐंड प्रास्पेक्ट्स: रिफ्लेकशंस आन ह्यूमन नेचर ऐंड द सोशल आर्डर
- (1996). क्लास वारफेयर
- (1997). वन चैप्टर, द कोल्ड वार ऐंड द युनिवर्सिटी
- (1997). मीडिया कंट्रोल: द स्पेक्टेकुलर अचीवमेंट्स आफ प्रोपोगैंडा
- (1998). द काम गुड
- (1999). द अम्ब्रेला आफ यूएस पावर
- (1999). लैटिन अमेरिका: फ्राम कोलोनाइजेशन टू ग्लोबलाइजेशन
- (1999). एक्ट्स आफ अग्रेसन: पोलिसिंग "रोग" स्टेट्स (सहलेखक: एडवर्ड सईद)
- (1999). द न्यू मिलिट्री ह्यूमनिज्म: लेसन्स फ्राम कोसोवो
- (1999). प्राफिट ओवर पीपल: नियोलिबरलिज्म ऐंड ग्लोबल आर्डर
- (1999). द फेटफुल ट्रायंगल (संशोधित संस्करण)
- (2000). चाम्सकी आन मिस-एड्यूकेशन (डोनैल्डो मकैडो द्वारा संपादित)
- (2000). ए न्यू जेनेरेशन ड्राज द लाईन: कोसोवो, ईस्ट तिमोर ऐंड द स्टैंडर्ड्स आफ द वेस्ट
- (2000). रोग स्टेट्स: द रूल आफ फोर्स इन वर्ल्ड अफेयर्स
- (2001). प्रोपोगैंडा ऐंड द पब्लिक माइंड
- (2001). 9-11
- (2002). अंडरस्टैंडिंग पावर: द इंडिस्पेंसिबल चाम्सकी
- (2002). चाम्सकी आन डेमोक्रैसी ऐंड एड्यूकेशन ( सीपी ओटेरो द्वारा संपादित)
- (2002). मीडिया कंट्रोल (द्वितीय संसकरण)
- (2002). पाइरेट्स ऐंड एम्परर्स, ओल्ड ऐंड न्यू: इंटरनेशन टेरेरिज्म इन द रियल वर्ल्ड
- (2003). पावर ऐंड टेरर: पोस्ट-9/11 टाक्स ऐंड इंटर्व्यूज
- (2003). मिड्ल-ईस्ट इल्यूजन्स: इन्क्लूडिंग पीस इन द मिड्ल-ईस्ट? रिफ्लेक्शंस आन जस्टिस ऐंड द नेशनहुड
- (2003). हेजेमोनी और सरवाईवल: अमेरिकाज क्वेस्ट फार ग्लोबल डामिनेंस
- (2003). जेड नेट आलेख, डीप कनसर्नस http://www.zmag.org/content/showarticle.cfm?ItemID=3293
- (2004). गेटिंग हेईती राईट दिस टाईम: द यूएस ऐंड द कू (सहलेखक:पाल फ्रेमर एवं एमी गुडमैन)
- (2005). चाम्सकी आन अनार्किज्म (बेरी पैटमैन द्वारा संपादित)
- (2005) गवर्नमेंट इन द फ्यूचर। सेवेन स्टोरीज प्रेस। ISBN 1583226850। पोएट्री सेंटर, न्यूयार्क में 16 फरवरी, 1970 को दिए गये भाषण का आलेख
- (2005). इम्पीरियल एंबीशन्स: कानवर्सेशन्स आन द पोस्ट 9/11 वर्ल्ड
- (2005). द इम्पेशियस इंपिरियलिस्ट
- (2006). फेल्ड स्टेट्स: द अब्यूज आफ पावर ऐंड द असाल्ट आन डेमोक्रैसी
- (2006). पेरिलियस पावर। द मिड्ल-ईस्ट ऐंड यूएस फारेन पालिसी. डायलाग्स आन टेरर, डेमोक्रैसी, वार अन्द जस्टिस (गिलबर्ट ऐचर के साथ)
- (2007). इंटरवेंशन्स
- (2007). व्हाट वी से गोज: कानवर्सेशन्स आन यूएस पावर इन ए चेंजिंग वर्ल्ड
[संपादित करें] फिल्म
- मैन्यूफैक्चरिंग कांसेंट: नोआम चाम्सकी ऐंद द मीडिया, निर्देशक: मार्क ऐचबर एवं पीटर विंतोनिक(1992)
- लास्ट पार्टी 2000, निर्देशक: रेबेका चैकलिन एवं दोनोवैन लेइच (2001)
- पावर ऐंड टेरर: नोआम चाम्सकी इन आवर टाईम, निर्देशक: जान जंकरमेन (2002)
- डिस्टार्टेड मोरैलिटी—अमेरिकाज वार आन टेरर?, निर्देशक: जान जंकरमेन (2003)
- नोआम चाम्सकी: रेबेल विदाउट ए पाज (टीवी), निर्देशक: विल पसोचे (2003)
- द कारपोरेशन, निर्देशन: मार्क ऐचबर एवं जेनिफर अबाट; लेखन: जुएल बेकन (2003)
- पीस, प्रोपोगैंडा ऐंड द प्रामिस्ड लैंड, निर्देशन: सू झाली एवं बात्सेबा रात्ज्कोफ (2004)
[संपादित करें] साक्षात्कार
एमी गुडमैन द्वारा
मारिया हिनोजोसा द्वारा
एंड्र्यू मारद्वारा
डेविड बार्समेन द्वारा (आल्टरनेटिव रेडियो पर, बाद में पुस्तकाकार प्रकाशित)
- कीपिंग द रैबल इन लाइन (1994)
- क्लास वारफेयर (1996)
- द कामन गुड (1998)
- प्रोपोगैंडा ऐंड पब्लिक माइंड (2001)
- इम्पीरियल एंबिशन्स—कानवर्सेशंस विद नोआम चाम्सकी आन द पोस्ट9/11 वर्ल्ड (2005)
दनिलो मैंडिक द्वारा (डाटान्यूज एडीट्राइस लिखित, कापीलेफ्ट, ईटली द्वारा प्रकाशित)
- आन ग्लोबलाइजेशन, ईराक, ऐंड मिडिल-इस्टर्न स्टडीज (2005)
- आन नाटो बांबिंग आफ युगोस्लाविया (2006)
हैरी क्रेजलर द्वारा ("कानवरसेशन्स विद हिस्ट्री" टीवी धारावाहिक कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बर्कली द्वारा)
- एक्टीविजम, अनार्किज्म, ऐंड पावर (22 मार्च, 2002) MP4 video
अन्य द्वारा
- पूरी सूची यहाँ देखें: चाम्सकी डाट इन्फो
[संपादित करें] यह भी देखें
- चाम्सकी की आलोचना
[संपादित करें] संदर्भ सूची
- ↑ “चाम्सकी इज साइटेशन चैंप”, एमआइटी न्यूज आफिस, 1992-04-15। 2007-09-03।
- ↑ हफ्स, सैमुअल, “भाषण!”, 'द पेंसिलवानिया गजेट', जुलाई/अगस्त 2001। 2007-09-03।
- ↑ राबिंसन, पौल, “द चाम्स्की प्राब्लम”, 'द न्यूयार्क टाइम्स', 1979-02-25।
- ↑ ब्रायन लैम्ब "बुक टीवी: नोआम चाम्सकी से साक्षात्कार", 1 जून, 2000 बुक टीवी सी-स्पैनसाँचा:Dead link
- ↑ क्रेस्लर (2002), अध्याय 1: पृष्ठभूमि। अभिगमन तिथि: 2007-09-03।
- ↑ चाम्सकी, नोआम (1967-02-23). "द रिस्पांसिबिलिटी आफ इंटेलेक्चुअल्स". द न्यूयार्क रिव्यू आफ बुक्स 8 (3). Retrieved on 2007-09-03.
- ↑ तूरन, केनेथ (24 जनवरी 2003)। पावर ऐंड टेरर—फिल्म समीक्षा। लास एंजेल्स टाईम्स। अभिगमन तिथि: 2007-09-04। “[नोआम चाम्सकी”
- ↑ वाल, रिचर्ड (17 अगस्त 2004)। हू इज अफ्रेड आफ नोआम चाम्सकी?। ल्यूराकवेल डाट काम। अभिगमन तिथि: 03 सितंबर 2007। “[नोआम चाम्सकी”
- ↑ फ्लिंट, एंथनी (19 नवंबर 1995)। डिवाइडेड लेगसी। द बास्टन ग्लोब। अभिगमन तिथि: 04 सितंबर 2007। “Ask this intellectual radical why he is shunned by the mainstream, and he'll say that established powers have never been able to handle his brand of dissent.”
- ↑ Barsky (1997), Chapter 4। अभिगमन तिथि: 2007-09-04। Barsky quotes an excerpt of Edward Herman examining why "one of America's most well-known intellectuals and dissidents would be thus ignored and even ostracized by the mainstream press." For example, "Chomsky has never had an Op Ed column in the Washington Post, and his lone opinion piece in the New York Times was not an original contribution but rather excerpts from testimony before the Senate Foreign Relations Committee."
- ↑ स्ट्राबुलोपाउलस, जार्ज (03 मार्च 2006)। नोआम चाम्सकी आन द आवर। सीबीसी। अभिगमन तिथि: 04 सितंबर 2007।
- ↑ Chomsky, Noam (1965)। Aspects of the Theory of Syntax। MIT Press।
- ↑ Huang, Cheng-Teh James (1982). "Logical relations in Chinese and the theory of grammar". MIT PhD dissertation. Available online [1].
- ↑ Matthews, G.H. (1965)। Hidatsa Syntax। Mouton।
- ↑ Platero, Paul Randolph (1978). "Missing noun phrases in Navajo". MIT PhD dissertation. Available online [2].
- ↑ Schütze, Carson T. (1993). "Towards a Minimalist Account of Quirky Case and Licensing in Icelandic". MIT Working Papers in Linguistics 19. Available online [3]
- ↑ Bhatt, Rajesh (1997). "Matching Effects and the Syntax-Morphology Interface: Evidence from Hindi Correlatives". MIT Working Papers in Linguistics 31. Available online [4].
- ↑ The New Yorker, John Colapinto. April 16, 2007. p. 119.
- ↑ http://ling.auf.net/lingbuzz/000411
- ↑ Ray, Robin H., “Linguists doubt exception to universal grammar”, MIT News, 2007-04-23। 2007-09-04।
- ↑ [5]
- ↑ Barsky (1997), Chapter 3। अभिगमन तिथि: 2007-09-04।
- ↑ चेंगुएक्स, जाँ-पियरी; करेज, फिलिप; डान्चिन, एंतोनी (अक्तूबर 1973). "ए थियरी आफ एपिजेनेसिस आफ न्यूरोनल नेटवर्क्स बाय सेलेक्टिव स्टैबिलाइजेशन आफ सिनपेस्स" (पीडीएफ). PNAS. Retrieved on सितंबर 04 - 2007.
- ↑ क्रैजलर (2002), अध्याय 3: थिंकिंग अबाउट पावर। अभिगमन तिथि: 03 सितंबर 2007।
- ↑ चाम्सकी, नोआम। रैशनैलिटी/साइंस। जी कम्यूनिकेशन्स। अभिगमन तिथि: 04 सितंबर 2007।
- ↑ Chomsky (1996), pp. 71.
- ↑ Chomsky, Noam, "Notes on Anarchism" [6] … "Libertarian socialism is properly to be regarded as the inheritor of the liberal ideals of the Enlightenment."
- ↑ Chomsky wrote the preface to an edition of Rudolf Rocker's book Anarcho-Syndicalism: Theory and Practice. In it Chomsky wrote: "I felt at once, and still feel, that Rocker was pointing the way to a much better world, one that is within our grasp, one that may well be the only alternative to the 'universal catastrophe' towards which 'we are driving on under full sail'…" Book Citation: Rudolph Rocker. Anarcho-Syndicalism: Theory and Practice. AK Press. p. ii. 2004.
- ↑ Industrial Workers of the World IWW Member Biographies
- ↑ Anarchism 101 with Noam Chomsky [7]
- ↑ Chomsky, Noam (1993)। What Uncle Sam Really Wants। ZMag। अभिगमन तिथि: 2007-07-27।
- ↑ साँचा:Cite video
- ↑ Chomsky, Noam (2002-02-08)। DRCNet Interview: Noam Chomsky। DRCNet। अभिगमन तिथि: 2007-07-27।
- ↑ Chomsky (1996), pp. 77.
- ↑ "Interview with Noam Chomsky, Bill Bennett", May 30, 2002 American Morning with Paula Zahn CNN
- ↑ Adams, Tim (2003-10-30)। Noam Chomsky: Thorn in America's Side। The Observer। अभिगमन तिथि: 2007-09-04।
- ↑ Chomsky Rebel
- ↑ Chomsky, Noam. "False, False, False, and False: Noam Chomsky interviewed by Ray Suarez", January 20, 1999 Chomsky.info
- ↑ http://www.chomsky.info/debates/19670420.htm
- ↑ Chavez Recommends Chomsky's Hegemony or Survival, The American Empire Project, September 202006
- ↑ सखारोव, एलेक्स (12 मई 2003)। ग्रामर। मैथवर्ल्ड। अभिगमन तिथि: 04 सितंबर 2007।
- ↑ लेक्चर 6: इवोल्यूशनरी साइकोलजी, प्राब्लम साल्विंग, ऐंड 'मैकियावेलियन' इंटेलिजेंस। स्कूल आफ साइकालजी। मेसी यूनिवर्सिटी (1996)। अभिगमन तिथि: 04 सिंतबर 2007।
- ↑ वैन ज़्यिल सिलबर्ट टू प्रेजेंट टीबी देइव मेमोरिल लेक्चर
- ↑ द करंट क्राइसिस इन मिड्ल-इस्ट: अबाउट द लेक्चर. एमआईटी वर्ल्ड.
- ↑ http://www.chomsky.info/bios/2002----.htm
- ↑ NCTE जार्ज आरवेल अवार्ड फार डिस्टिंग्विश्ड कांट्रीब्यूशन टू आनेस्टी ऐंड क्लेरिटी इन पब्लिक लैंग्वेज
- ↑ सामाजिक विज्ञान विभाग. सर्बियाई विज्ञान एवं कला अकादमी.
- ↑ कार्लोस लिनेउस की स्मृति में उपासला विश्वविद्यालय की मानद डाक्टरेट उपाधि। उपासला विश्वविद्यालय (13 फरवरी 2007)। अभिगमन तिथि: 09 सितंबर 2007।
- ↑ चाम्सकी नेम्ड टाप इंटेलेक्चुअल: ब्रिटिश पोल। Breitbart.com (18 अक्तूबर 2005)। अभिगमन तिथि: 2007-09-04।
- ↑ काउले, जेसन (2006-05-22)। हीरोज आफ आवर टाईम। न्यू स्टेट्समैन। अभिगमन तिथि: 2007-09-04।
- Barsky, Robert F. (1997)। Noam Chomsky: A Life of Dissent। Massachusetts: MIT Press।
- Chomsky, Noam (1996)। Perspectives on Power। Montréal: Black Rose।
- Kreisler, Harry (2002-03-22)। Activism, Anarchism, and Power: Conversation with Noam Chomsky। Conversations with History। Institute of International Studies, UC Berkeley। अभिगमन तिथि: 2007-09-03।
[संपादित करें] बाहरी कड़ियाँ
- आधिकारिक जालस्थल
- संयुक्त अरब अमीरात के अखबार खलीज टाईम्स मे चामस्की का स्तंभ लेखन
- व्हाई इट्स ओवर फार अमेरीका, नोआम चाम्सकी द्वारा, द इंडिपेंडेंट, 30 मई, 2006
- एमआईटी का होमपेज
- इंटरनेट मूवी डेटाबेस पर नोआम चाम्सकी
- जेड नेट पर नोआम चाम्सकी आर्काइव
- नोआम चाम्सकी का साक्षात्कार, 1 जून, 2003 को प्रसारित सी-स्पैन का बुक टीवी
- इन्फोस रेडियो प्राजेक्ट: नोआम चाम्सकी के व्याख्यान (एमपी3)
- नोआम चाम्सकी की मीडिया फाइलें - इंटरनेट आर्काइव
- मुक्त बाजार के बारे में चाम्स्की के विचार
- चाम्सकी से गुफ़्तगू
- नोआम चाम्सकी के वीडियो क्लिप्स (क्विक टाईम, .mov, फार्मेट)
- द चाम्सकी व्यूअर पावर-प्वाइंट फार्मेट में चाम्स्की एवं अन्य एक्टीविस्टों के बारे में स्लाइड शो।
- मध्य-पूर्व की समस्या पर चाम्सकी के विचार
- चाम्सकी के भाषण का वीडियो 'फोर्स, ला ऐंड पासिबिलीटिज आफ सरवाइवल' मार्च 2005 को
- नोआम चाम्सकी एवं हार्वड जिन का संयुक्त साक्षात्कार, 16 अप्रैल 2007 प्रथम भाग द्वितीय भाग
- चाम्सकी के लेख एवं वीडियो - अनार्किज्म टुडे डाट आर्ग पर