कोलकाता
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कोलकाता কলকাতা |
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महलों के शहर · सिटी ओफ़ जॉय | |
प्रदेश - जिले |
पश्चिम बंगाल - कोलकाता |
स्थान | 22.33° N 88.20° E |
क्षेत्रफल - समुद्र तल से ऊँचाई |
185 वर्ग की.मी
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समय मण्डल | IST (UTC+5:30) |
जनसंख्या (2001) - घनत्व |
4,580,544 - 24,760/वर्ग.कि.मी. |
संकेतक - डाक - दूरभाष - वाहन |
- 700 xxx - +91(0)33 - WB-01—WB-04 |
वेबसाइट: www.kolkatamycity.com |
कोलकाता (बांग्ला: কলকাতা सहायता·सूचना) (पुराना नाम कलकत्ता ) भारत का एक महानगर है और यह पश्चिम बंगाल की राजधानी है। इस शहर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसके आधुनिक स्वरूप का विकास अंग्रेजो एवं फ्रांस के उपनिवेशवाद के इतिहास से जुड़ा है। आज का कोलकाता आधुनिक भारत के इतिहास की कई गाथाएँ अपने आप में समेटे हुये है। शहर को जहाँ भारत के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तनों के शुरुआती केन्द्र बिन्दु के रूप में पहचान मिली है वहीं दूसरी ओर इसे भारत में साम्यवाद आंदोलन के गढ के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। इस महलों के शहर, सिटी ऑफ़ जॉय, और टॉलीवुड के विविध रंग हैं जिसका पता कोलकाता जाकर ही जाना जा सकता है।
अनुक्रम |
[संपादित करें] इतिहास
[संपादित करें] विकास और नामकरण
आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम कोलकाता 1 जनवरी, 2001 को रखा गया। इसका पूर्व नाम अंग्रेजी में भले ही "कैलकटा' हो लेकिन बंगाल और बांग्ला में इसे हमेशा से कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही जाना जाता रहा है जबकि हिन्दी भाषी समुदाय में ये कलकत्ता के नाम से जाना जाता रहा है। सम्राट अकबर के चुंगी दस्तावेजों और पंद्रहवी सदी के बांग्ला कवि विप्रदास की कविताओं में इस नाम का बार बार उल्लेख मिलता है। लेकिन फिर भी नाम की उत्पत्ति के बारे में कई तरह की कहानियाँ मशहूर हैं। सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार हिंदुओं की देवी काली के नाम से इस शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। इस शहर के अस्तित्व का उल्लेख व्यापारिक बंदरगाह के रूप में चीन के प्राचीन यात्रियों के यात्रा वृतांत और फारसी व्यापारियों के दस्तावेजों में भी उल्लेख है। महाभारत में भी बंगाल के कुछ राजाओं का नाम है जो कौरव सेना की तरफ से युद्ध में शामिल हुये थे।
नाम की कहानी और विवाद चाहे जो भी हों इतना तो अवश्य तय है कि यह आधुनिक भारत के शहर में सबसे पहले बसने वाले शहरों में से एक है। सबसे पहले यहाँ 1690 में इस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी "जाब चारनाक" ने अपने कंपनी के व्यापारियों के लिये एक बस्ती बसाई थी। 1698 में इस्ट इंडिया कंपनी ने एक स्थानीय जमींदार से तीन गाँव (सूतानीति, कोलिकाता और गोबिंदपुर) खरीदा। अगले साल कंपनी ने इन तीन गाँवों का विकास प्रेसिडेंसी सिटी के रूप में करना शुरू किया। 1727 में इंग्लैंड के राजा जार्ज द्वतीय के आदेशानुसार यहाँ एक नागरिक न्यायालय की स्थापना की गयी। कोलकाता नगर निगम की स्थाप्ना की गयी और पहले मेयर का चुनाव हुआ। 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने कोलिकाता पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। उसने इसका नाम "अलीनगर" रखा। लेकिन साल भर के अंदर ही सिराजुद्दौला की पकड़ यहाँ ढीली पड़ गयी और अंग्रेजों का इसपर पुन: अधिकार हो गया। 1772 में वारेन हेस्टिंग्स ने इसे ब्रिटिश शासकों की भारतीय राजधानी बना दी। कुछ इतिहासकार इस शहर की एक बड़े शहर के रूप में स्थापना की शुरुआत 1698 में फोर्ट विलियम की स्थापना से जोड़कर देखते हैं। 1912 तक कोलकाता भारत में अंग्रेजो की राजधानी बनी रही।
[संपादित करें] स्वाधीनता आंदोलन में भूमिका
ऐतिहासिक रूप से कोलकाता भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में केन्द्रीय भूमिका में रहा है। भारतीया राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ साथ कई राजनैतिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों जैसे "हिन्दू मेला" और क्रांतिकारी संगठन "युगांतर" , "अनुशीलन" इत्यादी की स्थापना का गौरव इस शहर को हासिल है। प्रांभिक राष्ट्रवादी व्यक्तित्वों में अरविंद घोष, इंदिरा देवी चौधरानी, विपिनचंद्र पाल का नाम प्रमुख है। आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने श्री व्योमेश चंद्र बैनर्जी और स्वराज की वक़ालत करने वाले पहले व्यक्ति श्री सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी भी कोलकाता से ही थे। 19 वी सदी के उत्तरार्द्ध और 20 वीं शताब्दी के प्रांभ में बांग्ला साहित्यकार बंकिमचंद्र चटर्जी ने बंगाली राष्ट्रवादियों के बहुत प्रभावित किया। इन्हीं का लिखा आनंदमठ में लिखा गीत वन्दे मातरम आज भारत का राष्ट्र गीत है। सुभाषचंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन कर अंग्रेजो को काफी साँसत में रखा। इसके अलावा रवींद्रनाथ टैगोर से लेकर सैकड़ों स्वाधीनता के सिपाही विभिन्न रूपों में इस शहर में मौजूद रहे हैं।
[संपादित करें] विकास
1757 के बाद से इस शहर पर पूरी तरह अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया और 1850 के बाद से इस शहर का तेजी से औद्योगिक विकास होना शुरु हुआ खासकर कपड़ों के उद्योग का विकास नाटकीय रूप से यहाँ बढा हलाकि इस विकास का असर शहर को छोड़कर आसपास के इलाकों में कहीं परिलक्षित नहीं हुआ। 5 अक्टूबर 1864 को समुद्री तूफान (जिसमे साठ हजार से ज्यादा लोग मारे गये) की वजह से कोलकाता में बुरी तरह तबाही होने के बावजूद कोलकात अधिकांशत: अनियोजित रूप से अगले डेढ सौ सालों में बढता रहा और आज इसकी आबादी लगभ 14 मिलियन है।
कोलकाता 1980से पहले भारत की सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर था, लेकिन इसके बाद मुंबई ने इसकी जगह ली। भारत की आज़ादी के समय 1947 में और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद "पूर्वी बंगाल" (अब बांग्लादेश ) से यहाँ शरणार्थियों की बाढ आ गयी जिसने इस शहर की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह झकझोरा।
[संपादित करें] बाबू संस्कृति और बंगाली पुनर्जागरण
ब्रिटिश शासन के दौरान जब कोलकाता एकीकृत भारत की राजधानी थी, कोलकाता को लंदन के बाद ब्रिटिश साम्र्याज्य का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता था। इस शहर की पहचान महलों का शहर, पूरब का मोती इत्यादि के रूप में थी। इसी दौरान बंगाल और खासकर कोलकाता में बाबू संस्कृति का विकास हुआ जो ब्रिटिश उदारवाद और बंगाली समाज के आंतरिक उथल पुथल का नतीजा थी जिसमे बंगाली जमींदारी प्रथा हिंदू धर्म के सामाजिक, राजनैतिक, और नैतिक मूल्यों में उठापटक चल रही थी। यह इन्हीं द्वंदों का नतीजा था कि अंग्रेजों के आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों में पढे कुछ लोगों ने बंगाल के समाज में सुधारवादी बहस को जन्म दिया। मूल रूप से "बाबू" उन लोगों को कहा जाता था जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाकर भारतीय मूल्यों को हिकारत की दृष्टि से देखते थे और खुद को ज्यादा से ज्याद पश्चिमी रंग ढंग में ढालने की कोशिश करते थे। लेकिन लाख कोशिशों के बावज़ूद जब अंग्रेजों के बीच जब उनकी अस्वीकार्यता बनी रही तो बाद में इसके सकारत्म परिणाम भी आये, इसी वर्ग के कुछ लोगो ने नयी बहसों की शुरुआत की जो बंगाल के पनर्जागरण के नाम से जाना जाता है। इसके तहत बंगाल में सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक सुधार के बहुत से अभिनव प्रयास हुये और बांग्ला साहित्य ने नयी ऊँचाइयों को छुआ जिसको बहुत तेजी से अन्य भारतीय समुदायों ने भी अपनाया।
[संपादित करें] आधुनिक कोलकाता
कोलकाता भारत की आजादी और उसके कुछ समय बाद तक एक समृद्ध शहर के रूप में स्थापित रहा लेकिन बाद के वर्षों में जनसँख्या के दवाब और मूलभूत सुविधाओं के आभाव में इस शहर की सेहत बिगड़ने लगी। 1960 और 1970 के दशकों में नक्सलवाद का एक सशक्त आंदोलन यहाँ उठ खड़ा हुआ जो बाद में देश के दूसरे क्षेत्रों में भी फैल गया। 1977 के बाद से यह वामपंथी आंदोलन के गढ के रूप में स्थापित हुआ और तब से इस राज्य में भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी का बोलबाला है।
[संपादित करें] शिक्षा
इस शहर में नौ विश्वविद्यालय और कई नामचीन कालेज हैं जिनमे कम से कम चार मेडिकल कालेज भी शामिल हैं। हलाकि अस्सी के दशकों के बाद कलकत्ता की शैक्षिक हैसियत में गिरावट हुई है लेकिन कोलकाता अब भी शैक्षिक माहौल के लिये खासा जाना जाता है।
कोलकाता के विश्वविद्यालय और कुछ खास शैक्षिक संस्थानों की सूची इस तरह है:-
[संपादित करें] विश्वविद्यालय
- कोलकाता विश्वविद्यालय,
- जादवपुर विश्वविद्यालय,
- रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय,
- पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय,
- नेताजी सुभाष मुक्त विश्वविद्यालय,
- बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (पुराना नाम बंगाल अभियांत्रिकी महाविद्यालय),
- पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय,
- पश्चिम बंगाल पशुपालन एवं मतस्य पालन विज्ञान विश्वविद्यालय,
- पश्चिम बंगाल तकनीकी विश्वविद्यालय,
इन विश्वविद्यालयों से सैकड़ो महाविद्यालय संबद्ध एवं अंगीभूत इकाई के रूप में काम करते हैं।
[संपादित करें] राष्ट्रीय महत्व के संस्थान
- एशियाटिक सोसायटी
- भारतीय साँख्यिकी संस्थान
- भारतीय प्रबंधन संस्थान
- मेघनाथ साहा आण्विक भौतिकी संस्थान
- सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान
[संपादित करें] अन्य उल्लेखनीय संस्थान
- रामकृष्ण मिशन संस्कृति संस्थान
- एंथ्रोपोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया
- बोस संस्थान
- बोटैनिकल सर्वे आफ इंडिया
- जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया
- इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इनफार्मेशन टेक्नालजी
- राष्ट्रीय होमियोपैथी संस्थान
- श्रीरामपुर कालेज
- प्रेसीडेंसी कालेज
- स्काटिश चर्च कालेज
[संपादित करें] यातायात व्यवस्था
कोलकाता में दो बड़े रेलवे स्टेशन हैं जिनमे एक हावड़ा और दूसरा सियालदह में है, हावड़ा तुलनात्मक रूप से ज्यादा बड़ा स्टेशन है जबकि सियालदह से स्थानीय सेवाएँ ज्यादा हैं। शहर में उत्तर में दमदम में नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा जो शहर को देश विदेश से जोड़ता है। शहर से सीधे ढाका यांगून, बैंकाक लंदन पारो सहित मध्य पूर्व एशिया के कुछ शहर जुड़े हुये हैं। कोलकाता भारतीय उपमहाद्वीप का एकमात्र ऐसा शहर है जहाँ ट्राम यातायात का प्रचलन है। इसके अलावा यहाँ कोलकाता मेट्रो की भूमिगत रेल सेवा भी उपलब्ध है। गंगा की शाखा हुगली में कहीं कहीं स्टीमर यातायात की सुविधा भी उपलब्ध है। सड़कों पर नीजी बसों के साथ साथ पश्चिम बंगाल यातायात परिवहन निगम की भी काफी बसें चलती हैं। शहर की सड़कों पे काली-पीली टैक्सियाँ चलती हैं। धुंएँ, धूल और प्रदूषण से राहत शहर के किसी किसी इलाके में ही मिलती है।
[संपादित करें] पर्यटन
[संपादित करें] संस्कृति
[संपादित करें] यह भी देखें
[संपादित करें] बाहरी कड़ियाँ
भारत के प्रान्त की राजधानी | ||
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