हिन्दी भाषा
विकिपिडिया नं
Hindī हिन्दी, हिंदी |
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खंल्हाइगु थाय: | भारत | |||
थाय: | भारतीय उपमहाद्वीप | |||
ल्याखं (छ्येलिपिंगु): | ca. ४९० मिलियन माँभाय्, ७९० मिलियन सकल | |||
मातृभाषी क्र॰सं॰: | २ वा ३ | |||
भाषा परिवार: | Indo-European भारतीय-ईरानी भारतीय-आर्य मध्य क्षेत्र पश्चिम हिन्दी हिन्दूस्थानी Hindī |
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च्वैगु लिपि: | देवनागरी लिपि | |||
आधिकारिकता: | ||||
भाषा आधिकारिक जुगु थाय्: | भारत, फिजी (हिन्दूस्थानीयागु रुपे) | |||
भाषा चलेयाइगु गुथि: | मध्य हिन्दी डिरेक्टोरेट [1] | |||
भाषा कोड | ||||
आइ एस ओ ६३९-१: | hi | |||
आइ एस ओ ६३९-२: | hin | |||
आइ एस ओ ६३९-३: | hin | |||
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हिन्दी सांवैधानिक तवलं भारतयागु प्रथम राजभाषा खः व भारतय् दक्ले अप्व ल्हाइगु व थुइगु भाषा खः। हिन्दी व थुकिगु बोलीतः उत्तर व मध्य भारतय् विविध प्रान्तय् ल्हाइ। २६ ज्यानुवरी ई सं १९६५य् हिन्दीयात भारतयागु आधिकारिक भाषा यु दर्जा बिल।
चीनी धुंका हिन्दी हलिमे दक्ले अप्व ल्हाइगु भाषा खः। भारत व भारत पिने ६० करोड (६०० मिलियन) स्वया अप्व मनुतेसं हिन्दी छ्येली। फिजी, मरिशस, गायना, सूरीनाम व नेपाल य् अधिकतर मनुतेसं हिन्दी थु।
भाषाविद कथं हिन्दी व उर्दू छगु हे भाषा खः। हिन्दी देवनागरी लिपिय् च्वइ व खंग्व यक्व संस्कृत नं वगु दु। उर्दू नस्तालिकय् च्वइ व खंग्वय् यक्व फारसी व अरबी भाषातेगु असर दु। व्याकरणीय कथं उर्दू व हिन्दीय् यक्व समानता दु। छुं खास ध्वनित उर्दूय् अरबी व फारसी नं कयातगु दु व थ्व हे कथलं फारसी व अरबीयागु छुं खास व्याकरणीय संरचना नं छ्येलातगु दु।
धलः |
[सम्पादन] परिवार
हिन्दी भारोपेली (Indo-European languages) भाषा परिवारय् दुने ला व। थ्व भारतीय ईरानी (Indo-Iranian languages) शाखाय् हिन्द आर्य (Indo-Aryan language) उपशाखा यागु अन्तर्गतय् वर्गीकृत दु। भारतीय-आर्य भाषा व भाषातः खः जो संस्कृत नं उत्पन्न जुया वगु दु। उर्दू, कश्मीरी, बंगाली, उडिया, पंजाबी, रोमानी, मराठी थें न्यागु भाषात भारतीय-आर्य भाषा खः।
[सम्पादन] इतिहास क्रम
- ७५० बी. सी. (ईसा पूर्व)- संस्कृतयागु वैदिक संस्कृत नं क्रमबद्ध विकास ।
- ५०० बी. सी. - बौद्ध व जैन तेगु भाषा प्राकृतयागु विकास (पूर्वी भारत) ।
- ४०० बी. सी. - पाणिनी नं संस्कृत व्याकरण च्वयादिल (पश्चिमी भारत) । वैदिक संस्कृत नं पाणिनी यागु काव्य संस्कृतयागु मानकीकरण ।
संस्कृतयागु उदगम।
- ३२२ बी. सी. - मौर्यतेसं ब्राह्मी लिपि यागु देकेज्या।
- २५० बी. सी. - आदि संस्कृतयागु विकास। (आदि संस्कृत नं बिस्तारं १०० बी. सी. तक्क प्राकृततेगु थाय् काल।)
- ३२० ए. डी. (ईसवी)- गुप्त वा सिद्ध मात्रिका लिपी यागु विकास ।
अपभ्रंश व आदि हिन्दीयागु विकास
- ४०० - कालीदास नं "विक्रमोवशीर्यम्" अपभ्रंशय् च्वयादिल।
- ५५० - वल्लभीयागु दर्शनय् अपभ्रंश यागु छ्येलेज्या।
- ७६९ - सिद्ध सारहपद (हिन्दीयागु आदि कवि) नं "दोहाकोश" च्वयादिल।
- ७७९ - उदयोतन सुरी यागु "कुवलयमल" य् अपभ्रंश यागु छ्येलेज्या।
- ८०० - संस्कृतय् यक्व च्वया तल।
- ९९३ - देवसेन यागु "शवकचर" (हिन्दीयागु न्हापांगु सफू जुइ फु)।
- ११०० - आधुनिक देवनागरी लिपी यागु प्रथम स्वरूप।
- ११४५-१२२९ - हेमचन्द्र नं अपभ्रंश व्याकरणयागु देकेज्या यानादिल।
अपभ्रंश यागु अस्त व आधुनिक हिन्दीयागु विकास
- १२८३ - आमिर खुसरो यागु पहेली व मुकरिसय् "हिन्दवी" खंग्वयागु सर्वप्रथम छ्येलेज्या।
- १३७० - "हंसवाली" यादु आसहात नं प्रेम कथातेगु न्ह्येथनेज्या यानादिल।
- १३९८-१५१८ - कबीर यागु रचनातेसं निर्गुण भक्तियागु नींव तयादिल।
- १४००-१४७९ - अपभ्रंशयागु आखरी महान चिनाखंमि रघु।
- १४५० - रामानन्द नापं "सगुण भक्ती" यागु शुरुआत।
- १५८० - शुरुआती द]क्खिनी का कार्य "कालमितुल हाकायत्" -- बुर्हनुद्दिन जनम द्वारा।
- १५८५ - नवलदास ने "भक्तामल" लिखी।
- १६०१ - [[बनारसीदास] ने हिन्दी की पहली आत्मकथा "अर्ध कथानक्" लिखी।
- १६०४ - गुरु अर्जुन देव ने कई कविओं की रचनाओं का संकलन "आदि ग्रन्थ" निकाला।
- १५३२ -१६२३ तुलसीदास ने "रामचरित मानस" की रचना की।
- १६२३ - जाटमल ने "गोरा बादल की कथा" (खडी बोली की पहली रचना) लिखी।
- १६४३ - रामचन्द्र शुक्ला ने "रीति" के द्वारा काव्य की शुरुआत की।
- १६४५ - उर्दू की शुरुआत।
आधुनिक हिन्दी
- १७९६ - देवनागरी रचनाओं की शुरुआती छ्पाई।
- १८२६ - "उदन्त मार्तण्ड" हिन्दी का पहला साप्ताहिक।
- १८३७ - ओम् जय जगदीश" के रचियता पुल्लोरी क जन्म ।
- 1950 - हिन्दी भारत की राजभाषा के रुप में स्थापित।
- 2000 - आधुनिक हिंदी का अंतर्राष्ट्रीय विकास
[सम्पादन] हिन्दी का मानकीकरण
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से हिन्दी और देवनागरी के मानकीकरण की दिशा में निम्नलिखित क्षेत्रों में प्रयास हुये हैं :-
- हिन्दी व्याकरण का मानकीकरण
- वर्तनी का मानकीकरण
- शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा देवनागरी का मानकीकरण
- वैज्ञानिक ढंग से देवनागरी लिखने के लिये एकरूपता के प्रयास
- यूनिकोड का विकास
[सम्पादन] हिन्दी की शैलियाँ
भाषाविदों के अनुसार हिन्दी के चार प्रमुख रूप या शैलियाँ हैं :
- उच्च हिन्दी--हिन्दी का मानकीकृत रूप, जिसकी लिपि देवनागरी है। इसमें संस्कृत भाषा के कई शब्द है, जिन्होंने फ़ारसी और अरबी के कई शब्दों की जगह ले ली है। इसे शुद्ध हिन्दी भी कहते हैं। आजकल इसमें अंग्रेज़ी के भी कई शब्द आ गये हैं (ख़ास तौर पर बोलचाल की भाषा में)। यह खड़ीबोली पर आधारित है, जो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती थी।
- दक्खिनी--हिन्दी का वह रूप जो हैदराबाद और उसके आसपास की जगहों में बोला जाता है। इसमें फ़ारसी-अरबी के शब्द उर्दू की अपेक्षा कम होते हैं।
- रेख़्ता--उर्दू का वह रूप जो शायरी में प्रयुक्त होता है।
- उर्दू--हिन्दी का वह रूप जो देवनागरी लिपि के बजाय फ़ारसी-अरबी लिपि में लिखा जाता है। इसमें संस्कृत के शब्द कम होते हैं,और फ़ारसी-अरबी के शब्द ज़्यादा। यह भी खड़ीबोली पर ही आधारित है।
हिन्दी और उर्दू दोनों को मिलाकर हिन्दुस्तानी भाषा कहा जाता है । हिन्दुस्तानी मानकीकृत हिन्दी और मानकीकृत उर्दू के बोलचाल की भाषा है । इसमें शुद्ध संस्कृत और शुद्ध फ़ारसी-अरबी दोनो के शब्द कम होते हैं और तद्भव शब्द अधिक । उच्च हिन्दी भारतीय संघ की राजभाषा है (अनुच्छेद 343, भारतीय संविधान) । ये इन भारयीय राज्यों की भी राजभाषा है : उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तरांचल, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरयाणा, और दिल्ली । उर्दू पाकिस्तान की और भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर की राजभाषा है । ये लगभग सभी ऐसे राज्यों की सह-राजभाषा है जिनकी मुख्य राजभाषा हिन्दी है । दुर्भाग्यवश हिन्दुस्तानी को कहीं भी संवैधानिक दर्ज़ा नहीं मिला हुआ है ।
[सम्पादन] हिन्दी की बोलियाँ
हिंदी की विभिन्न बोलियां और उनका साहित्य
[सम्पादन] शब्दावली
हिन्दी शब्दावली में मुख्यतः दो वर्ग हैं--
- तत्सम शब्द-- ये वो शब्द हैं जिनको संस्कृत से बिना कोई रूप बदले ले लिया गया है ।
- तद्भव शब्द-- ये वो शब्द हैं जिनका जन्म संस्कृत या प्राकृत में हुआ था, लेकिन उनमें काफ़ी ऐतिहासिक बदलाव आया है ।
इसके अलावा हिन्दी में कई शब्द अरबी, फ़ारसी, तुर्की, अंग्रेज़ी, आदि से भी आये हैं । जिस हिन्दी में अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के शब्द लगभग पूरी तरह से हटा कर तत्सम शब्दों को ही प्रयोग में लाया जाता है, उसे "शुद्ध हिन्दी" कहते हैं । तथाकथित "हिन्दू राष्ट्रवादी" लोग ख़ास तौर पर "शुद्ध हिन्दी" पर अत्यधिक बल देते हैं ।
[सम्पादन] स्वर शास्त्र
(Phonology of Hindi)
देवनागरी लिपि में हिन्दी की ध्वनियाँ इस प्रकार हैं :
[सम्पादन] स्वर
ये स्वर आधुनिक हिन्दी (खड़ीबोली) के लिये दिये गये हैं ।
वर्णाक्षर | “प” के साथ मात्रा | IPA उच्चारण | "प्" के साथ उच्चारण | IAST समतुल्य | अंग्रेज़ी समतुल्य | हिन्दी में वर्णन |
---|---|---|---|---|---|---|
अ | प | / ə / | / pə / | a | short or long en:Schwa: as the a in above or ago | बीच का मध्य प्रसृत स्वर |
आ | पा | / α: / | / pα: / | ā | long en:Open back unrounded vowel: as the a in father | दीर्घ विवृत पश्व प्रसृत स्वर |
इ | पि | / i / | / pi / | i | short en:close front unrounded vowel: as i in bit | ह्रस्व संवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ई | पी | / i: / | / pi: / | ī | long en:close front unrounded vowel: as i in machine | दीर्घ संवृत अग्र प्रसृत स्वर |
उ | पु | / u / | / pu / | u | short en:close back rounded vowel: as u in put | ह्रस्व संवृत पश्व वर्तुल स्वर |
ऊ | पू | / u: / | / pu: / | ū | long en:close back rounded vowel: as oo in school | दीर्घ संवृत पश्व वर्तुल स्वर |
ए | पे | / e: / | / pe: / | e | long en:close-mid front unrounded vowel: as a in game (not a diphthong) | दीर्घ अर्धसंवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ऐ | पै | / æ: / | / pæ: / | ai | long en:near-open front unrounded vowel: as a in cat | दीर्घ लगभग-विवृत अग्र प्रसृत स्वर |
ओ | पो | / ο: / | / pο: / | o | long en:close-mid back rounded vowel: as o in tone (not a diphthong) | दीर्घ अर्धसंवृत पश्व वर्तुल स्वर |
औ | पौ | / ɔ: / | / pɔ: / | au | long en:open-mid back rounded vowel: as au in caught | दीर्घ अर्धविवृत पश्व वर्तुल स्वर |
<none> | <none> | / ɛ / | / pɛ / | <none> | short en:open-mid front unrounded vowel: as e in get | ह्रस्व अर्धविवृत अग्र प्रसृत स्वर |
इसके अलावा हिन्दी और संस्कृत में ये वर्णाक्षर भी स्वर माने जाते हैं :
- ऋ -- आधुनिक हिन्दी में "रि" की तरह
- अं -- आधे न्, म्, ङ्, ञ्, ण् के लिये या स्वर का नासिकीकरण करने के लिये
- अँ -- स्वर का नासिकीकरण करने के लिये
- अः -- अघोष "ह्" (निःश्वास) के लिये
[सम्पादन] व्यंजन
जब किसी स्वर प्रयोग नहीं हो, तो वहाँ पर 'अ' माना जाता है । स्वर के न होने को हलन्त् अथवा विराम से दर्शाया जाता है । जैसे कि क् ख् ग् घ् ।
Plosives / स्पर्श | |||||
अल्पप्राण अघोष |
महाप्राण अघोष |
अल्पप्राण घोष |
महाप्राण घोष |
नासिक्य | |
---|---|---|---|---|---|
कण्ठ्य | क / kə / k; English: skip |
ख / khə / kh; English: cat |
ग / gə / g; English: game |
घ / gɦə / gh; Aspirated /g/ |
ङ / ŋə / n; English: ring |
तालव्य | च / cə / or / tʃə / ch; English: chat |
छ / chə / or /tʃhə/ chh; Aspirated /c/ |
ज / ɟə / or / dʒə / j; English: jam |
झ / ɟɦə / or / dʒɦə / jh; Aspirated /ɟ/ |
ञ / ɲə / n; English: finch |
मूर्धन्य | ट / ʈə / t; American Eng: hurting |
ठ / ʈhə / th; Aspirated /ʈ/ |
ड / ɖə / d; American Eng: murder |
ढ / ɖɦə / dh; Aspirated /ɖ/ |
ण / ɳə / n; American Eng: hunter |
दन्त्य | त / t̪ə / t; Spanish: tomate |
थ / t̪hə / th; Aspirated /t̪/ |
द / d̪ə / d; Spanish: donde |
ध / d̪ɦə / dh; Aspirated /d̪/ |
न / nə / n; English: name |
ओष्ठ्य | प / pə / p; English: spin |
फ / phə / ph; English: pit |
ब / bə / b; English: bone |
भ / bɦə / bh; Aspirated /b/ |
म / mə / m; English: mine |
Non-Plosives / स्पर्शरहित | ||||
तालव्य | मूर्धन्य | दन्त्य/ वर्त्स्य |
कण्ठोष्ठ्य/ काकल्य |
|
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अन्तस्थ | य / jə / y; English: you |
र / rə / r; Scottish Eng: trip |
ल / lə / l; English: love |
व / ʋə / v; English: vase |
ऊष्म/ संघर्षी |
श / ʃə / sh; English: ship |
ष / ʂə / sh; Retroflex /ʃ/ |
स / sə / s; English: same |
ह / ɦə / or / hə / h; English home |
नोट करें :
- इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त वयंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है। मराठी और वैदिक संस्कृत में सभी का प्रयोग किया जाता है ।
- संस्कृत में ष का उच्चारण ऐसे होता था : जीभ की नोक को मूर्धा (मुँह की छत) की ओर उठाकर श जैसी आवाज़ करना । शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनि शाखा में कुछ वाक़्यात में ष का उच्चारण ख की तरह करना मान्य था । आधुनिक हिन्दी में ष का उच्चारण पूरी तरह श की तरह होता है ।
- हिन्दी में ण का उच्चारण ज़्यादातर ड़ँ की तरह होता है, यानि कि जीभ मुँह की छत को एक ज़ोरदार ठोकर मारती है । हिन्दी में क्षणिक और क्शड़िंक में कोई फ़र्क नहीं । पर संस्कृत में ण का उच्चारण न की तरह बिना ठोकर मारे होता था, फ़र्क सिर्फ़ इतना कि जीभ ण के समय मुँह की छत को छूती है ।
[सम्पादन] नुक़्ता वाली ध्वनियाँ
ये ध्वनियाँ मुख्यत: अरबी और फ़ारसी भाषाओं से उधार ली गयी हैं । इनका स्त्रोत संस्कृत नहीं है । कई हिन्दीभाषी इनका ग़लत उच्चारण करते हैं । देवनागरी लिपि में ये सबसे करीबी संस्कृत के वर्णाक्षर के नीचे नुक्ता (बिन्दु) लगाकर लिखे जाते हैं ।
वर्णाक्षर (IPA उच्चारण) | उदाहरण | वर्णन | अंग्रेज़ी में वर्णन | ग़लत उच्चारण |
क़ (/ q /) | क़त्ल | अघोष अलिजिह्वीय स्पर्श | Voiceless uvular stop | क (/ k /) |
ख़ (/ x or χ /) | ख़ास | अघोष अलिजिह्वीय या कण्ठ्य संघर्षी | Voiceless uvular or velar fricative | ख (/ kh /) |
ग़ (/ ɣ or ʁ /) | ग़ैर | घोष अलिजिह्वीय या कण्ठ्य संघर्षी | Voiced uvular or velar fricative | ग (/ g /) |
फ़ (/ f /) | फ़र्क | अघोष दन्त्यौष्ठ्य संघर्षी | Voiceless labio-dental fricative | फ (/ ph /) |
ज़ (/ z /) | ज़ालिम | घोष वर्त्स्य संघर्षी | Voiced alveolar fricative | ज (/ dʒ /) |
ड़ (/ ɽ /) | पेड़ | अल्पप्राण मूर्धन्य उत्क्षिप्त | Unaspirated retroflex flap | - |
ढ़ (/ ɽh /) | पढ़ना | महाप्राण मूर्धन्य उत्क्षिप्त | Aspirated retroflex flap | - |
हिन्दी में ड़ और ढ़ व्यंजन फ़ारसी या अरबी से नहीं लिये गये हैं, न ही ये संस्कृत में पाये जाये हैं । असल में ये संस्कृत के साधारण ड और ढ के बदले हुए रूप हैं ।
[सम्पादन] हिन्दी की गिनती
हिन्दी की गिनती
[सम्पादन] व्याकरण
देखिये हिन्दी व्याकरण
हिन्दी में सिर्फ़ दो ही लिंग होते हैं : स्त्रीलिंग और पुल्लिंग । कोई वस्तु या जानवर या वनस्पती या भाववाचक संज्ञा स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, इसका भेद सिर्फ़ रिवाज़ से होता है, जिसे याद करना पड़ता है ( कभी-कभी संज्ञा के अन्त-स्वर से भी पता चल जाता है ) । संज्ञा में तीन शब्द-रूप हो सकते हैं -- प्रत्यक्ष रूप, अप्रत्यक्ष रूप और संबोधन रूप । सर्वनाम में कर्म रूप और सम्बन्ध रूप भी होते हैं, पर सम्बोधन रूप नहीं होता । संज्ञा और आ-कारन्त विशेषण में प्रत्यय द्वारा रूप बदला जाता है । सर्वनाम में लिंग-भेद नहीं होता । क्रिया के भी कई रूप होते हैं, जो प्रत्यय और सहायक क्रियाओं द्वारा बदले जाते हैं । क्रिया के रूप से उसके विषय संज्ञा या सर्वनाम के लिंग और वचन का भी पता चल जात है । हिन्दी में दो वचन होते हैं-- एकवचन और बहुवचन । किसी शब्द की वाक्य में जगह बताने के लिये कई कारक होते हैं, जो शब्द के बाद आते हैं (postpositions) । अगर संज्ञा को कारक के साथ ठीक से रखा जाये तो वाक्य में शब्द-क्रम काफ़ी मुक्त होता है ।
[सम्पादन] हिन्दी और कम्प्यूटर
कम्प्यूटर और इन्टरनेट ने पिछ्ले वर्षों मे विश्व मे सूचना क्रांति ला दी है । आज कोई भी भाषा कम्प्यूटर (तथा कम्प्यूटर सदृश अन्य उपकरणों) से दूर रहकर लोगों से जुड़ी नही रह सकती। कम्प्यूटर और के विकास के आरम्भिक काल में अंग्रेजी को छोडकर विश्व की अन्य भाषाओं के कम्प्यूतर पर प्रयोग की दिशा में बहुत कम ध्यान दिया गया जिससे कारण सामान्य लोगों में यह गलत धारणा फैल गयी कि कम्प्यूटर अंगरेजी के सिवा किसी दूसरी भाषा(लिपि) में काम ही नही कर सकता। किन्तु यूनिकोड(Unicode) के पदार्पण के बाद स्थिति बहुत तेजी से बदल गयी।
इस समय हिन्दी में सजाल (websites), चिट्ठे (Blogs), विपत्र (email), गपशप (chat), खोज (web-search), सरल मोबाइल सन्देश (SMS) तथा अन्य हिन्दी सामग्री उपलब्ध हैं। इस समय अन्तरजाल पर हिन्दी में संगणन के संसाधनों की भी भरमार है और नित नये कम्प्यूटिंग उपकरण आते जा रहे हैं। लोगों मे इनके बारे में जानकारी देकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है ताकि अधिकाधिक लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी का प्रयोग करते हुए अपना, हिन्दी का और पूरे हिन्दी समाज का विकास करें।
[सम्पादन] हिन्दी फ़िल्म
मुख्य लेख: हिन्दी सिनेमा
हिन्दी सिनेमा का उल्लेख किये बग़ैर हिन्दी का कोई भी लेख अधूरा होगा । मुम्बई मे स्थित "बॉलिवुड" हिन्दी फ़िल्म उद्योग पर भारत के करोड़ो लोगों की धड़्कनें टिकी रहती हैं । हर फ़िल्म में कई संगीतमय गाने होते हैं । हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, भोजपुरी, राजस्थानी जैसी बोलियाँ भी संवाद और गानों मे उपयुक्त होते हैं । प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं । ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं । कुछ हिट फ़िल्मे हैं : महल (1949), श्री 420 (1955), मदर इंडिया (1957), मुग़ल-ए-आज़म (1960), गाइड (1965), पाकीज़ा (1972), बॉबी (1973), ज़ंजीर (1973), यादों की बारात (1973), दीवार (1975), शोले (1975), मिस्टर इंडिया (1987), क़यामत से क़यामत तक (1988), मैंने प्यार किया (1989), जो जीता वही सिकन्दर (1991), हम आपके हैं कौन (1994), दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995), दिल तो पागल है (1997), कुछ कुछ होता है (1998), ताल (1999), कहो ना प्यार है (2000), लगान (2001), दिल चाहता है (2001), कभी ख़ुशी कभी ग़म (2001), देवदास (2002), साथिया (2002), मुन्ना भाई MBBS (2003), कल हो ना हो (2003), धूम (2004), वीर-ज़ारा (2004), स्वदेस (2004), सलाम नमस्ते (2005), रंग दे बसंती (2006) इत्यादि ।
[सम्पादन] यह भी देखिए
- भारत की भाषाएँ
- हिन्दी साहित्य
- हिन्दी की लघु-पत्रिकायें
- हिन्दी की साहित्यिक पत्रिकायें
- हिन्दी विक्षनरी
- हिन्दी (विक्षनरी)
[सम्पादन] बाहरी कड़ियाँ
- अनुरोध : हिन्दी एवं भारतीय भाषाऒं के प्रतिष्ठापन कॊ समर्पित विश्व-जाल स्थल
- कविता कोश : हिन्दी काव्य का अकूत खज़ाना
- सृजन-गाथा : हिंदी साहित्य, भाषा एवं संस्कृति की मासिक वेब पत्रिका
- Hindi Transliteration Service : Hindi/Devanagari <-> English/Latin धर्म-परिवर्तन, लिप्यांतरण
- हिन्दी काव्य से चुनी गयी पंक्तियों का संग्रह - शब्दों के मोती
- हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध कवि डा. हरिवंश राय बच्चन
- हिन्दी गगन
- हाइकु दर्पण : हिंदी हाइकु की पत्रिका
- हिन्दी साहित्य
- अभिव्यक्ति : हिंदी की वेब मैगजीन
- अनुभूति : विश्वजाल पर हिंदी की पद्य पत्रिका
- नर्मदातीरे
- हिन्दी : गानों की भाषा, किसानों की भाषा, विद्वानों की भाषा
- Hindi News - हिन्दी समाचार
- http://www.ancientscripts.com/sa_ws.html
- http://www.ancientscripts.com/devanagari.html
- http://ccat.sas.upenn.edu/plc/hindi/alphabet/
- प्रभासाक्षी : हिंदी का समग्र समाचार-विचार पोर्टल
- माध्यम : बालेन्दु दाधीच का निःशुल्क हिंदी वर्ड-प्रोसेसर
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