ओम का नियम
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[संपादित करें] ओह्म का नियम
इस नियम का प्रतिपादन जॉर्ज साइमन ओम ने किया था।
ओह्म का नियम (या ओम का नियम / ohm's Law) के अनुसार यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाँय तो किसी प्रतिरोधक (या अन्य ओह्मीय डिवाइस) के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है।
अर्थात्
- V ∝ I
या,
या,
जहाँ
- I धारा (करेंट) है, एम्पीयर में
- V विभवांतर (पोटेंशियल डिफरेंस) है, वोल्ट में
- R प्रतिरोध (रेसिज़टेंस) है, ओह्म में
ज्ञातव्य है कि वैद्युत अभियांत्रिकी एवं एलेक्ट्रानिक्स में प्रयुक्त बहुत सी युक्तियाँ ओम के नियम का पालन नहीं करती हैं। ऐसी युक्तियों को अनओमीय युक्तियाँ कहते हैं। उदाहरण के लिये, डायोड एक अनओमीय युक्ति है।
[संपादित करें] इन्हें भी देखें
- धारा घनत्व
- एकदिष्ट धारा
- प्रत्यावर्ती धारा
- विद्युत चालन
- SI इकाइयाँ
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