उर्जा संरक्षण का नियम
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भौतिकी के उर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार किसी अयुक्त निकाय (isolated system) की कुल उर्जा नियत रहती है। अर्थात उर्जा का न तो निर्माण सम्भव है न ही विनाश; केवल इसका रूप बदला जा सकता है। उदाहरण के लिये गतिज उर्जा, स्थितिज उर्जा में बदल सकती है; विद्युत उर्जा, उष्मा में बदल सकती है; यांत्रिक कार्य से उष्मा उत्पन्न हो सकती है।
उष्मागतिकी का प्रथम नियम भी वास्तव में उर्जा संरक्षण के नियम का एक परिवर्तित रूप है।
[संपादित करें] इन्हें भी देखें
- संरक्षण के नियम
- द्रब्य की अविनाशिता का नियम