नारीवाद
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नारीवाद राजनैतिक आंदोलन का एक सामाजिक सिद्धांत है जो स्त्रियों के अनुभवों से जनित है। हलाकि मूल रूप से यह सामाजिक संबंधो से अनुप्रेरित है लेकिन कई स्त्रीवादी विद्वान का मुख्य जोर लैंगिक असमानता, और औरतों के अधिकार इत्यादि पर ज्यादा बल देते हैं।
नारीवादी सिद्धांतो का उद्देश्य लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतो पर इसके असर की व्याख्या करना है। स्त्री विमर्श संबंधी राजनैतिक प्रचारों का जोर प्रजनन संबंधी अधिकार, घरेलू हिंसा, मातृत्व अवकाश, समान वेतन संबंधी अधिकार, यौन उत्पीड़न, भेदभाव एवं यौन हिंसापर रहता है।
स्त्रीवादी विमर्श संबंधी आदर्श का मूल कथ्य यही रहता है कि कानूनी अधिकारों का आधार लिंग न बने।
आधुनिक स्त्रीवादी विमर्श की मुख्य आलोचना हमेशा से यही रही है कि इसके सिद्धांत एवं दर्शन मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों एवं दर्शन पर आधारित रहे हैं। हलाकि जमीनी स्तर पर स्त्रीवादी विमर्श हर देश एवं भौगोलिक सीमाओं मे अपने स्त्र पर सक्रिय रहती हैं और हर क्षेत्र के स्त्रीवादी विमर्श की अपनी खास समस्याएँ होती हैं।
अनुक्रम |
[संपादित करें] स्त्री विमर्श का इतिहास
[संपादित करें] स्त्री विमर्श के विभिन्न रूप
[संपादित करें] नारीवाद के छोटे पहलू
- साँस्कृतिक नारीवाद
- पर्यावरणीय नारीवाद
- समतामूलक नारीवाद
- समलैंगिक नारीवाद
- उदारवादी नारीवाद
- वैय्क्तिक नारीवाद
- मार्कसवादी नारीवाद अथवा समाजवादी नारीवाद
- भौतिक नारीवाद
- बहु-साँस्कृतिक नारीवाद
- विखंडनवादी नारीवाद
- आध्यात्मिक नारीवाद
[संपादित करें] दूसरे आंदलनों पर प्रभाव
[संपादित करें] पश्चिम में नारीवाद का प्रभाव
[संपादित करें] नैतिक शिक्षा पर प्रभाव
[संपादित करें] लैंगिक संबंधो पर प्रभाव
[संपादित करें] धर्म पर प्रभाव
[संपादित करें] वैश्विक आँकड़ा
स्वीडन | 45.3 |
नार्वे | 36.4 |
फिनलैंड | 37.5 |
डेनमार्क | 38.0 |
नीदरलैंड | 35.0 |
न्यूजीलैंड | 28.3 |
आस्ट्रिया | 27.5 |
जर्मनी | 25.8 |
आइसलैंड | 30.2 |
इंग्लैंड | 17.8 |