भीखाजी कामा
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
श्रीमती भीखाजी जी रूस्तम कामा (मैडम कामा) (24 सितंबर 1861-13 अगस्त 1936)जर्मनी के स्टटगार्ट नगर में 22 अगस्त 1907 में हुई सातवीं अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में तिरंगा फहराने के लिए सुविख्यात हैं। उस समय तिरंगा वैसा नहीं था जैसा आज है। [१]
24 सितंबर, 1861 को बंबई में जन्मी भीखाजी कामा स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी अत्यंत कर्मठ महिला थी। धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद इस साहसी महिला ने आदर्श और दृढ़ संकल्प के बल पर निरापद तथा सुखी जीवनवाले वातावरण को तिलांजलि दे दी और शक्ति के चरमोत्कर्ष पर पहुँचे साम्राज्य के विरुद्ध क्रांतिकारी कार्यों से उपजे खतरों तथा कठिनाइयों का सामना किया। श्रीमती कामा का बहुत बड़ा योगदान साम्राज्यवाद के विरुद्ध विश्व जनमत जाग्रत करना तथा विदेशी शासन से मुक्ति के लिए भारत की इच्छा को दावे के साथ प्रस्तुत करना था। भारत की स्वाधीनता के लिए लड़ते हुए उन्होंने लंबी अवधि तक निर्वासित जीवन बिताया था।
वह अपने क्रांतिकारी विचार अपने समाचार-पत्र ‘वंदेमातरम्’ तथा ‘तलवार’ में प्रकट करती थीं। श्रीमती कामा की लड़ाई दुनिया-भर के साम्रज्यवाद के विरुद्ध थी। वह भारत के स्वाधीनता आंदोलन के महत्त्व को खूब समझती थीं, जिसका लक्ष्य संपूर्ण पृथ्वी से साम्राज्यवाद के प्रभुत्व को समाप्त करना था। उनके सहयोगी उन्हें ‘भारतीय क्रांति की माता’ मानते थे; जबकि अंग्रेज उन्हें कुख्यात् महिला, खतरनाक क्रांतिकारी, अराजकतावादी क्रांतिकारी, ब्रिटिश विरोधी तथा असंगत कहते थे। यूरोप के समाजवादी समुदाय में श्रीमती कामा का पर्याप्त प्रभाव था। यह उस समय स्पष्ट हुआ जब उन्होंने यूरोपीय पत्रकारों को अपने देश-भक्तों के बचाव के लिए आमंत्रित किया। वह ‘भारतीय राष्ट्रीयता की महान पुजारिन’ के नाम से विख्यात थीं। फ्रांसीसी अखबारों में उनका चित्र जोन ऑफ आर्क के साथ आया। यह इस तथ्य की भावपूर्ण अभिव्यक्ति थी कि श्रीमती कामा का यूरोप के राष्ट्रीय तथा लोकतांत्रिक समाज में विशिष्ट स्थान था।[२]
[संपादित करें] संदर्भ
- ↑ लहराता रहे तिरंगा (पीएचपी)। भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 12 दिसंबर, 2007।
- ↑ प्रतिष्ठित भारतीय (पीएचपी)। भारतीय साहित्य संग्रह। अभिगमन तिथि: 12 दिसंबर, 2007।
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम | |
---|---|
इतिहास: | उपनिवेश - ईस्ट इण्डिया कम्पनी - प्लासी का युद्ध - बक्सर का युद्ध - ब्रितानी भारत - फ्रांसीसी भारत - पुर्तगाली भारत |
प्रथम संग्राम: | 1857 का प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम |
प्रमुख सेनानी: | रानी लक्ष्मीबाई - तात्या टोपे - बेगम हज़रत महल - बहादुरशाह ज़फ़र - मंगल पांडे - नाना साहेब |
दर्शनशास्त्र: | भारतीय राष्ट्रवाद - स्वराज - गांधीवाद - सत्याग्रह - हिन्दू राष्ट्रवाद - भारतीय मुस्लिम राष्ट्रवाद - स्वदेशी - साम्यवाद |
घटनायें तथा आन्दोलन: | बंगाल का विभाजन - क्रान्तिकारी आन्दोलन - चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह - जलियां वाला बाग नरसंहार - असहयोग आन्दोलन - झंडा सत्याग्रह - बारडोली सत्याग्रह - साइमन कमीशन - नेहरू रिपोर्ट - पूर्ण स्वराज - नमक सत्याग्रह - १९३५ का कानून - क्रिप्स मिशन - भारत छोड़ो आन्दोलन - आज़ाद हिन्द फ़ौज - बंबई का विद्रोह |
संस्थायें: | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस - गदर पार्टी - होम रुल लीग - खुदाई खिदमतगार - स्वराज पार्टी - अनुशीलन समिती |
भारतीय नेता: | मंगल पाण्डेय - रानी लक्ष्मीबाई - बाल गंगाधर तिलक - गोपाल कृष्ण गोखले - लाला लाजपत राय - बिपिन चन्द्र पाल - महात्मा गांधी - सरदार वल्लभ भाई पटेल - नेताजी सुभाषचंद्र बोस - बादशाह खान - जवाहरलाल नेहरू - मौलाना अबुल कलाम आज़ाद - चन्द्रशेखर आज़ाद - चक्रवर्ती राजगोपालाचारी - भगत सिंह - भीखाजी कामा -सरोजिनी नायडू - पुरुषोत्तम दास टंडन - तंगतुरी प्रकाशम |
ब्रितानी राज: | राबर्ट क्लाईव - जेम्स औटरम - डलहौजी - इरविन - विक्टर होप - माउण्टबेटन |
स्वतन्त्रता: | १९४६ का मंत्रिमण्डल - १९४७ का भारतीय स्वतन्त्रता कानून - भारत का विभाजन - भारत का राजनैतिक एकीकरण - भारतीय संविधान |