फ़्रीडरिच नीट्शे
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फ़्रीडरिच नीट्शे का जन्म 15 अक्तूबर 1844 को लाईपज़िग के पास रयोक्कन में हुआ। उनकी मृत्यु 25 अगस्त 1900 को उपदंश (syphilis) के कारण हुयी। फ़्रीडरिच नीट्शे, कार्ल मार्क्स और इमानुएल कांट के बाद जर्मनी के सबसे प्रसिद्ध दार्शनिक थे। फ़्रीडरिच नीट्शे ने अपनी पुस्तकों में ईसाई धर्म की कड़ी आलोचना की है और नास्तिकता का प्रचार किया है। इसके अलावा उन्होंने अपनी पुस्तक 'Human, all too human' में मानवीय मनोविज्ञान के बारे में लिखा। वे 'Arthur Schuppenhauer' के अनुयायी थे जिन्होंने 1840 में भारतीय दार्शनिकता (भगवद गीता और बौद्ध धर्म) का जर्मनी में प्रचार किया।
[संपादित करें] उनकी रचनाएँ
थुस स्पोकस जरथ्रुष्ट