इलाहाबाद विश्वविद्यालय
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1866 में इलाहाबाद में म्योर कॉलेज की स्थापना हुई जो आगे चलकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ। आज भी यह इलाहाबाद विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण हिस्सा है। म्योर कॉलेज का नाम तत्कालीन संयुक्त प्रांत के गवर्नर विलियम म्योर के नाम पर पड़ा जिन्होंने पूरब में ऑक्सफोर्ड को बनाने का सपना देखा था। उन्होंने 24 मई 1867 को इलाहाबाद में एक स्वतंत्र महाविद्यालय तथा एक विश्वविद्यालय के निर्माण की इच्छा प्रकट की थी। 1869 में योजना बनी। उसके बाद इस काम के लिए एक शुरुआती कमेटी बना दी गई जिसके अवैतनिक सचिव प्यारे मोहन बनर्जी बने। [१]
9 दिसंबर 1873 को म्योर कॉलेज की आधारशिला हिज एक्सेलेंसी द राइट आनरेबल टामस जार्ज बैरिंग बैरन नार्थब्रेक ऑफ स्टेटस सीएमएसआई द्वारा रखी गई। ये वायसराय तथा भारत के गवर्नर जनरल थे। म्योर सेंट्रल कॉलेज का आकल्पन डब्ल्यू एमर्सन द्वारा किया गया था और ऐसी आशा थी कि कॉलेज की इमारतें मार्च 1875 तक बनकर तैयार हो जाएँगी। लेकिन इसे पूरा होने में पूरे बारह वर्ष लग गए। 1888 अप्रैल तक कॉलेज के सेंट्रल ब्लॉक के बनाने में 8,89,627 रुपए खर्च हो चुके थे। इसका औपचारिक उद्घाटन 8 अप्रैल 1886 को वायसराय हिज एक्सीलेंसी लार्ड डफरिन ने किया।
23 सितंबर 1887 को एक्ट XVii पास हुआ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालयों बाद उपाधि प्रदान करने वाला भारत का चौथा विश्वविद्यालय बन गया। इसकी प्रथम प्रवेश परीक्षा मार्च 1889 में हुई। [२]
[संपादित करें] संदर्भ
- ↑ [http://www.abhivyakti-hindi.org/itihas/alld_univ.htm पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय] (एचटीएम)। इलाहाबाद वि.वि.। अभिगमन तिथि: 11 अक्तूबर, 2007।
- ↑ About AU -> History (अंग्रेज़ी) (एचटीएम)। इलाहाबाद वि.वि.। अभिगमन तिथि: ११ अक्तूबर, 2007।