बर्टराण्ड रसेल
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
बर्ट्रेंड रसेल अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ब्रिटिश दार्शनिक, गणितज्ञ, वैज्ञानिक, शिक्षाशास्त्री, राजनीतिज्ञ तथा लेखक थे। उनका जन्म 18 मई, 1872 को हुआ था। उनका परिवार ब्रिटेन के उन ऐतिहासिक परिवारों में रहा, जिन्होंने ब्रिट्रेन की राजनीति में सदैव महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन उस युग में स्त्री मताधिकार तथा जनसंख्या नियंत्रण जैसे वर्जित मुद्दों की वकालत के लिए यह परिवार विवादास्पद भी रहा।
अर्ल रसेल ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज से गणित और नैतिक विज्ञान की शिक्षा पाई। छत्तीस वर्ष की छोटी उम्र में ही उन्हें रॉयल सोसायटी का फेलो बना दिया गया। वे फेबियन सोसायटी, मुक्त व्यापार आंदोलन, स्त्री, मताधिकार, विश्व शांति तथा परमाणु अस्त्रों के निषेध के पूर्ण समर्थक थे। उन्होंने कई विषयों पर अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें प्रमुख हैं- हिस्ट्री ऑव वेस्टर्न फिलासॉफी, द प्रिंसिपल्स ऑव मेथेमेटिक्स, मैरिज एंड मॉरल्स, द प्राब्लम ऑव चायना, अनऑर्म्ड विक्ट्री तथा प्रिंसिपल्स ऑव सोशल रिकंस्ट्रक्शन आदि।
रसेल को कई पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें ऑर्डर ऑव मेरिट (1949), साहित्य नोबल पुरस्कार (1950), कलिंग पुरस्कार (1957) तथा डेनिश सोनिंग पुरस्कार (1960) प्रमुख हैं। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति अपनी सहानुभूति के कारण उन्हें ब्रिटेन में बनी इंडिया लीग का अध्यक्ष भी बनाया गया। प्रेम पाने की उत्कंठा, ज्ञान की खोज तथा मानव की पीड़ाओं के प्रति असीम सहानुभूति इन तीन भावावेगों ने उनके 97 वर्ष लंबे जीवन को संचालित किया। प्रस्तुत अंश उनकी आत्मकथा 'द ऑटोबायोग्राफी ऑव बर्ट्रेंड रसेल' से उद्धृत है। इस अंश में उनके बचपन का रोचक वर्णन है, जिसने उनके भविष्य की दिशा निर्धारित की।