मैथिलीशरण गुप्त
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thumb|right|मैथिलीशरण गुप्त जन्म:1885
मैथिलीशरण गुप्त
जन्म: सन १८८५ ई
मैथिलीशरण गुप्त खड़ी बोली के प्रथम महत्वपूर्ण कवि हैं। श्री पं महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कवना के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निमिर्त करने में अथक प्रयास किया और इस तरह बर्जभाषा-जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी किवता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है।
पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर 'जयदर्थ वध', 'यशोधरा' और 'साकेत' तक में प्रतिष्ठत एवं प्रतिफिलत हुए हैं। 'साकेत' उनकी रचना का सवोर्च्च शिखर है।
मृत्यु: सन १९६४ ई। अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे और आने वाली सदियों में नए कवियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होंगे।
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श्रेणी:व्यक्तिगत जीवन श्रेणी: लेखक
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- मैथिलीशरण गुप्त की श्रेष्ठ रचनायें
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