मथुरा
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मथुरा उत्तरप्रदेश प्रान्त का एक जिला है। मथुरा एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। एक लंबे समय से मथुरा प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का केंद्र रहा है। भारतीय धर्म,दर्शन कला एवं साहित्य के निर्माण तथा विकास में मथुरा का महत्त्वपूर्ण योगदान सदा से रहा है। आज भी महाकवि सूरदास,संगीत के आचार्य स्वामी हरिदास,स्वामी दयानंद के गुरु स्वामी विरजानंद,कवि रसखान आदि महान आत्माओं से इस नगरी का नाम जुड़ा हुआ है।
मथुरा | |
प्रदेश - जिले |
उत्तर प्रदेश - मथुरा |
स्थान | 27.28° N 77.41° E |
क्षेत्रफल | वर्ग की.मी |
समय मण्डल | IST (UTC+5:30) |
जनसंख्या (2001) - घनत्व |
319,235 - /वर्ग.कि.मी. |
नगर पालिका अध्यक्ष | |
वेबसाइट: mathura.nic.in |
अनुक्रम |
[संपादित करें] दर्शनीय स्थल (शहर में)
- कृष्ण जन्म भूमि
- अंग्रेजों का मंदिर
- द्वारिकाधीश मंदिर
- विश्राम घाट
[संपादित करें] दर्शनीय स्थल (मथुरा से वृन्दावन की ओर)
- पागल बाबा का मंदिर
- बाँकेबिहारी मंदिर
- शांतिकुंज
- बिडला मंदिर
[संपादित करें] दर्शनीय स्थल (मथुरा से गोकुल की ओर)
- ठकुरानी घाट
- नवनीतप्रिया जी का मंदिर
- रमण रेती
- ८४ खम्बे
[संपादित करें] दर्शनीय स्थल (मथुरा से गोवर्धन की ओर)
- नंदगाँव
- कामा
- कामवन
[संपादित करें] पर्यटन
मथुरा रेलवे स्टेशन काफ़ी व्यस्त जंक्शन है और दिल्ली से दक्षिण भारत या मुम्बई जाने वाली सभी ट्रेने मथुरा होकर गुजरती हैं। सडक द्वारा भी पहुंचा जा सकता है। आगरा से मात्र 55 किलोमीटर दूर है। वृन्दावन पहुचने के लिये यह वृन्दावन की वेबसाईटकाफी सूचना देती हे| स्टेशन के आसपास कई होटल हैं और विश्राम घाट के आसपास कई कमखर्च वाली धर्मशालाएं रूकने के लिए उपलब्ध हैं। घूमने के लिए टेक्सी कर सकते हैं, जिससे मथुरा, वृन्दावन एक दिन में घूमा जा सकता है। अधिकतर मंदिरों में दर्शन सुबह १२ बजे तक और सांय ४ से ६-७ बजे तक खुलते हैं, दर्शनार्थियों को इसी हिसाब से अपना कार्यक्रम बनाना चाहिए। आटो और तांगे भी उपलब्ध है। यमुना में नौका विहार और प्रातःकाल और सांयकाल में विश्राम घाट पर होने वाली यमुना जी की आरती दर्शनीय है। गोकुल की ओर जाने के लिये आधा दिन और लगेगा, उसके बाद गोवर्धन के लिये निकल सकते हैं । गोवर्धन के लिये बस से उपलब्ध है। राधाष्टमी का उत्सव वृन्दावन मे धूम से मनाया जाता हे |
[संपादित करें] मथुरा की कलाकृतियाँ
बोधिसत्व पार्श्व दूसरी शताब्दी। |
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गुप्त कालीन बुद्ध, पाँचवीं शताब्दी। |