कलाई
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कलाई का जोड़ | |
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मानव कलाई | |
लातिनी | आर्टिकुलासियो रेडियोकार्पालिस (articulatio radiocarpalis) |
ग्रेज् एनाटोमी | subject #86 327 |
MeSH | Wrist+joint |
डोर्ल्यांड्स/एल्जेभायर | a_64/12161475 |
मानव संरचनाशास्त्र में कलाई हथेली और बाँह के बीच का जोड़ हैं। हाथ को चलायमान रखने के लिए इसका बड़ा महत्व है। मज़बूत कलाई वाले टेनिस, बैडमिंटन और क्रिकेट में बाज़ी मार ले जाते हैं। कलाई आधारभूत रुप से दो भागों वाली छोटी हड्डी से बनी होते है जिन्हें कार्पेल कहते है। यह जोड़ एक कन्डॉलोइड आर्टिकुलेसन बनाते है जो इस जोड़ पर हाथ को ३ डिग्री तक संचालन की सुविधा देते है।
अनुक्रम |
[संपादित करें] सामाजिक महत्त्व
धार्मिक अनुष्ठानों में कलाई की सबसे ज़्यादा ज़रूरत हैती है। हर पूजा में कलाई में लाल-पीले रंग के कच्चे सूत (मौली) का धागा बाँधा जाता है। इसको कलावा भी कहते हैं। राखी भी कलाई में ही बांधी जाती है। लेकिन मन की खुशी के लिए इसका उपयोग निराला ही है, खनखनाती कांच की चूड़ियों से सजी कलाई किसे खुश नहीं करती।
[संपादित करें] संरचना
कलाई में आठ हड्डियां होते है। यह हड्डियां इस प्रकार है-
- स्क्याफोइड
- ल्युनेट
- ट्राइक्वेट्रियम
- पिसिफर्म
- ट्रयापेजियम
- ट्र्यापेजोइड
- क्यापिटेट
- ह्यामेट
[संपादित करें] व्याधि
क्लाई की दुरूह संरचना के कारण इसकी चोट और व्याधि का निवारण करना कठिन है। कम्प्यूटर युग के आगमन से कलाई और हाथों की पीड़ा आम समस्या हो गई है। हाथ और कलाई की चोटों के इलाज और इसके मुआवज़े में कारीगरों को दिए जानेवाले बीमा भुगतानों की राशि का अर्थ व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है। वाशिंगटन प्रांत में 1987 से 1995 के बीच कारीगरों-मुआवज़ा-अधिकार विषय पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि औद्योगिक क्षेत्र के मज़दूरों में कलाई की (मांशपेशियों और हड्डीयों) चोटों के लिए दिए गए मुआवज़े की घटनाएँ सबसे अधिक थी और बीमा पर ख़र्च धन का अनुपात लगभग $7,500 था।[१]
[संपादित करें] लिगामेन्ट
यह जोड़ एक कैप्सुल से घिरा हआ है जिसे निम्नलिखित लिगामेन्टके द्वारा शक्ति प्राप्त होती है:
- वोलर रेडियोकार्पल लिगामेन्ट
- डोर्सल रेडियोकार्पल लिगामेन्ट
- अल्नार कोल्याटरल लिगामेन्ट (अंगुठा)
- रेडियल कोल्याटरल लिगामेन्ट (अंगुठा)
साइनोवियल मेम्ब्रेन इन लिगामेन्टों की भितरी सतह बनाते है। यह मेम्ब्रेन रेडियस के निचले खण्ड से कार्पल के ऊपरी आर्टिकुलर सतह तक रहते है। ये सतहें ढीली और चिकनी होती हैं और बहुत ज्यादा परतों वाले होते है विशेष रूप से पिछले में।
[संपादित करें] रेडियोकार्पेल और मध्यकार्पेल जोड़
कलाई आमतौर पर "रेडियोकार्पेल जोड़" को कहते है। लेकिन, मध्यकार्पेल जोर्नी, प्रमुख जोड़ ना होते हुए भी [२], प्रमुख जोड़ के अधिकतर कार्यों में सहयोग करता है। कार्पस की दोनों हड्डीयौं के बीच स्थित रहकर यह उनकी सीमा बनाता है।
[संपादित करें] चलने की क्षमता
इस जोड़ से नीचे दी गई चेष्टाएँ की जा सकती हैं-
- फ्लेक्सियन,
- एक्स्टेन्सन,
- एब्डक्सन,
- एड्डक्सन, और
- सर्कम्डक्सन
इनका अध्ययन उसी कार्पस के साथ किया जाता है जिसके साथ ये चेष्टाएँ होती हैं।
[संपादित करें] देखें
- डिस्टल रेडियस फ्रैक्चर
- ब्रुनेल्ली प्रक्रिया, कलाई के अस्थिरता से सम्बन्धित
[संपादित करें] सम्बन्धित चित्र
[संपादित करें] संदर्भ
- ↑ Silverstein B, Welp E, Nelson N, Kalat J (1998). "Claims incidence of work-related disorders of the upper extremities: Washington state, 1987 through 1995.". Am J Public Health 88 (12): 1827-33. PMID 9842381.
- ↑ साँचा:KansasHandKinesiology
[संपादित करें] बाहरी कडियां
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