सुनीति चौधरी ऑर शान्ति घोष
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
स्वतंत्रता संग्राम में बहुत कम अवस्था में बडा कारनामा करके दिखाने वाली सुनीति चॉधरी का जन्म- 22 मई 1917 कुमिल्ला में हुआ। सुनीति उस समय के प्रसिद्ध दीपाली संघ की सदस्य थीं। आजादी की लडाई में सुनीति चॉधरी का कारनामा सुनकर लोग आज भी दाँतों तले अँगुली दबा लेते हँ। चटगाँव शस्त्रागा काण्ड के बाद पूर्वी बंगाल आग की लपटों से घिर गया था। अंग्रेज सरकार पूरी तरह से बॉखला उठी थी। तभी २४ दिसम्बर की एक रोमांचकारी घटना ने चारो ओर तहलका मचा दिया। फिरंगी सरकार को हॅरान कर देने वाली इस घटना की नाइकाएँ थीं पन्द्रह ऑर साढे पन्द्रह साल की दो स्कूली लडकियाँ, सुनीति चॉधरी ऑर शान्ति घोष। पूर्वी बंगाल (अब बंगलादेश) में हर आदमी की शिनाख्त के लिए उन दिनो एक परिचय पत्र दिया जाता था। जिसमें उसके फोटो के साथ उसका नाम पता लिखा रहता था। यह सख्ती क्रान्तिकारियों को पकडने के लिए की जा रही थी। परिचय पत्र न दिखाने पर उसे गोली से उडाया जा सकता था। इस सख्ती के कारण क्रान्तिकारियों का कहीं आना-जाना बहुर मुश्किल हो गया था। सब जगह अंग्रेजों की फॉज थी। त्रिपुरा जिले के मजिस्ट्रेट स्टीवेंन्स को गोली से उडाने के धमकी भरे पत्र मिल चुके थे। जिला हेडक्वाटर कुमिल्ला शहर में था, जहाँ दुहरे काँटेदार तारों से घिरे बँगले में स्टीवेन्स एक कॅदी की तरह सख्त पहरे में रह रहा था, डर के मारे वह बँगले से बाहर्
कानपुर में शांति घोष के साथ जिला मजिस्ट्रेट स्टीवेन्स पर गोली चलाई।