जयशंकर प्रसाद
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महाकवि के रूप में सुविख्यात जयशंकर प्रसाद (१८८९-१९३७) हिंदी साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। तितली, कंकाल और इरावती जैसे उपन्यास और आकाशदीप, मधुआ और पुरस्कार जैसी कहानियाँ उनके गद्य लेखन की अपूर्व ऊँचाइयाँ हैं। काव्य साहित्य में कामायनी बेजोड कृति हॅ।
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[संपादित करें] जीवन परिचय
- जन्म: ३० जनवरी १८९० को वाराणसी में। स्कूली शिक्षा आठवीं तक किंतु घर पर संस्कृत, अंग्रेज़ी, पालि, प्राकृत भाषाओं का अध्ययन। इसके बाद भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन, साहित्य और पुराण कथाओं का एकनिष्ठ स्वाध्याय। पिता देवी प्रसाद तंबाकू और सुंघनी का व्यवसाय करते थे और वाराणसी में इनका परिवार सुंघनी साहू के नाम से प्रसिद्ध था।
- छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक। एक महान लेखक के रूप में प्रख्यात। विविध रचनाओं के माध्यम से मानवीय करूणा और भारतीय मनीषा के अनेकानेक गौरवपूर्ण पक्षों का उद्घाटन। ४८ वर्षो के छोटे से जीवन में कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास और आलोचनात्मक निबंध आदि विभिन्न विधाओं में रचनाएं।
उनकी कहानियां कविता समान रहती है।
[संपादित करें] प्रमुख रचनाएं
कड़ी शीर्षक
[संपादित करें] काव्य
[संपादित करें] नाटक
- स्कंदगुप्त
- चंद्रगुप्त
- ध्रुवस्वामिनी
- जन्मेजय का नाग यज्ञ
- राज्यश्री
- कामना
[संपादित करें] कहानी संग्रह
[संपादित करें] उपन्यास
- कंकाल
- तितली
- इरावती
[संपादित करें] यह भी देखें
- हिंदी साहित्य
- छायावादी युग
- हिन्दी कवि
- आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास
- आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास
- हिन्दी गद्यकार
[संपादित करें] बाहरी कड़ियां
- जयशंकर प्रसाद की श्रेष्ठ रचनायें
- जयशंकर प्रसाद (कविता कोश)
- जयशंकर प्रसाद (अनुभूति)
- जयशंकर प्रसाद (अभिव्यक्ति में)
प्रमुख स्तंभ- जयशंकर प्रसाद | सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | सुमित्रानंदन पंत | महादेवी वर्मा अन्य- हरिवंशराय बच्चन | रामकुमार वर्मा | माखनलाल चतुर्वेदी | रामधारी सिंह दिनकर