भोरमदेव
विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से
छत्तीसगढ के कबीरधाम जिले मे कबीरधाम से 18 कि.मी. दूर तथा रायपुर से 125 कि.मी. दूर चौरागॉंव मे एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है जिसे भोरमदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।मंदिर के चारो ओर मैकल पर्वत समूह है जिनके मध्य हरी भरी घाटी मे यह मंदिर है।मंदिर के सामने एक सुंदर तालाब भी है।इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क के मंदिर के समान है।जिसके कारण लोग इस मंदिर को छत्तीसगढ का खजुराहो भी कहते है।यह मंदिर एक एतिहासिक मंदिर है इस मंदिर को 11 वीं शताब्दी मे नागवंशी राजा देवराय ने बनवाया था।ऎसा कहा जाता है कि गोड राजाओ के देवता भोरमदेव थे जो कि शिवजी का ही एक नाम है।जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पडा।मंदिर के मंडप मे रखी हुइ एक दाढी- मूंछ वाले योगी की बैठी हुइ मुर्ति पर एक लेख लिखा है।जिसमे इस मुर्ति के निर्माण का समय कल्चुरी संवत 8.40 दिया है इससे यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण छठवे फणी नागवंशी राजा गोपाल देव के शासन काल मे हुआ था।कल्चुरी संवत 8.40 का अर्थ 10 वीं शताब्दी के बीच का समय होता है।
मंदिर का मुख पूर्व की ओर है।मंदिर नागर शैली का एक सुन्दर उदाहरण है।मंदिर मे तीन ओर से प्रवेश किया जा सकता है।मंदिर एक पॉंच फूट ऊंचे चबुतरे पर बनाया गया है।तीनो प्रवेश द्वारो से सीधे मंदिर के मंडप मे प्रवेश किया जा सकता है।मंडप की लंबाई60 फुट है और चौडाई 40 फुट है। मंडप के बीच मे मे 4 खंबे है तथा किनारे की ओर 12 खम्बे है जिन्होने मंदप की छत को संभाल रखा है।सभी खंबे बहुत ही सुंदर एवं कलात्मक है।प्रत्येक खंबे पर कीचन बना हुआ है।जो कि छत का भार संभाले हुए है।मंडप मे लक्ष्मी ,विश्नु एवं गरूड की मुर्ति रखी है तथा भगवान के ध्यान मे बैठे हुए एक राजपुरूष की मुर्ति भी रखी हुई है।मंदिर के गर्भगृह मे अनेक मुर्तियां रखी है तथा इन सबके बीच मे एक काले पत्थर से बना हुआ शिवलिंग स्थापित है। गर्भगृह मे एक पंचमुखी नाग की मुर्ति है साथ ही नृत्य करते हुए गणेश जी की मुर्ति तथा ध्यानमग्न अवस्था मे राजपुरूष एवं उपासना करते हुए एक स्त्री पुरूष की मुर्ति भी है। मंदिर के ऊपरी भाग का शिखर नही है।मंदिर के चारो ओर बाहरी दीवारो पर विश्नु ,शिव चामुंडा तथा गणेश आदि की मुर्तियां लगी है ।इसके साथ ही लक्ष्मी विश्नु एवं वामन अवतार की मुर्ति भी दीवार पर लगी हुई है।देवी सरस्वती की मुर्ति तथा शिव की अर्धनारिश्वर की मुर्ति भी यहां लगी हइ है।