भारत सरकार
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भारत सरकार
भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य की उपाधि देता है । भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है । इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका ।
अनुक्रम |
[संपादित करें] प्रमुख
राष्ट्रपति,जो कि राष्ट्र का प्रमुख है, has a largely ceremonial role. उसके कार्यों में संविधान का अभिव्यक्तिकरण, प्रस्तावित कानूनों (विधेयक) पर अपनी सहमति देना, और अध्यादेश जारी करना । वह भारतीय सेनाओं का मुख्य सेनापति भी है । राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को एक अप्रत्यक्ष मतदान विधि द्वारा 5 वर्षों के लिये चुना जाता है । प्रधानमन्त्री सरकार का प्रमुख है और कार्यपालिका की सारी शक्तियां उसी के पास होती हैं । इसका चुनाव राजनैतिक पार्टियों या गठबन्धन के द्वारा प्रत्यक्ष विधि से संसद में बहुमत प्राप्त करने पर होता है । बहुमत वने रहने की स्थिति में इसका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है । संविधान में किसी उप-प्रधानमंत्री का प्रावधान नहीं है पर समय-समय पर इसमें फेरबदल होता रहा है ।
[संपादित करें] व्यवस्थापिका
व्यवस्थापिका संसद को कहते हैं जिसके दो सदन हैं - उच्चसदन राज्यसभा, or Council of States,और निम्नसदन लोकसभा. राज्यसभा में 245 सदस्य होते हैं जबकि लोकसभा में 552 । राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव, अप्रत्यक्ष विधि से 6 वर्षों के लिये होता है, जबकि लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से, 5 वर्षों की अवधि के लिये । 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीय नागरिक मतदान कर सकते हैं ।
[संपादित करें] कार्यपालिका
कार्यपालिका के तान अंग हैं - राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मंत्रीमंडल । मंत्रीमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है । मंत्रीमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद का सदस्य होना अनिवार्य है । कार्यपालिका, व्यवस्थापिका से नीचे होता है ।
[संपादित करें] न्यायपालिका
भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष सर्वोच्च न्यायालय है, जिसका प्रधान प्रधान न्यायाधीश होता है । सर्वोच्च न्यायालय को अपने नये मामलों तथा उच्च न्यायालयों के विवादों, दोनो को देखने का अधिकार है । भारत में 21 उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं । न्यायपालिका और व्यवस्थापिका के परस्पर मतभेद या विवाद का सुलह राष्ट्रपति करता है ।
[संपादित करें] संघ और राज्य
भारत की शासन व्यवस्था केन्द्रीय और राज्यीय दोनो सिद्धांतो का मिश्रण है ।लोकसभा, राज्यसभा सर्वोच्च न्यायालय की सर्वोच्चता, संघ लोक सेवा आयोग इत्यादि इसे एक संघीय ढांचे का रूप देते हैं तो राज्यों के मंत्रीमंडल, स्थानीय निकायों की स्वायत्ता इत्यादि जैसे तत्व इसे राज्यों से बनी शासन व्यवस्था की ओर ले जाते हैं । प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होता है जो राष्ट्रपति द्वारा 5 वर्षों के लिए नियुक्त किये जाते हैं ।
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