चंद बरदाई
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चंद बरदाई (संवत 1225-) भारतीय राजा पृथ्वीराज तृतीय चौहान, जिन्होंने अजमेर और दिल्ली पर 1165 से 1192 तक राज्य किया, के राजकवि थे। लाहौर में जन्मे, चंद् बरदाई भाट जाति के जगात नामक गोत्र के ब्राह्मण थे। चन्द पृथ्वीराज के पिता सोमेश्वर के समय में राजपूताने आए थे। सोमेश्वर ने चंदबरदाई के पिता को अपना दरबारी कवि बनाया। यहीं से चंद के दरबारी जीवन की प्रारंभ हुआ। पृथ्वीराज के समय में उनके पिता नागौर में बस गए। यहाँ आज भी उनके वंशज रहते हैं।
चंद बरदाई को जालंधरी देवी का इष्ट था जिनकी कृपा से ये अदृष्ट-काव्य भी कर सकते थे। वर प्राप्त करने के कारण ही इनका नाम बरदाई पड़ा। वे षड्भाषा, व्याकरण, काव्य, साहित्य, छंद:शास्र, ज्योतिष, पुराण, नाटक आदि अनेक विद्याओं में पारंगत थे। इनके पूर्वजों की भूमि पंजाब थी। उनकी एक मात्र रचना पृथ्वीराज रासो महाकाव्य है। इस महाकाव्य के नायक उनके मित्र और आश्रयदाता राजा पृथ्वीराज चौहान हैं। चंद बरदाई वीर रस के अद्वितीय कवि समझे जाते हैं।