विंग्स आफ फायर: एन आटोबायोग्राफी आफ एपीजे अब्दुल कलाम
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विंग्स आफ फायर | |
विंग्स आफ फायर: एन आटोबायोग्राफी आफ एपीजे अब्दुल कलाम | |
रचयिता: | अब्दुल कलाम, अरूण तिवारी |
मूल शीर्षक: | Wings of Fire: An Autobiography of APJ Abdul Kalam |
प्रकाशक: | युनीवर्सीटिज प्रेस |
प्रकाशन तिथि: | 1999 |
भाषा: | अंग्रेजी |
देश: | भारत |
विषय: | आत्मकथा |
पृष्ठ: | 180 |
ISBN: | 81-7371-146-1 |
विंग्स आफ फायर: एन आटोबायोग्राफी आफ एपीजे अब्दुल कलाम (1999), भारत के वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल कलाम की आत्मकथा है। इसके सह-लेखक अरूण तिवारी है। इसमे अब्दुल कलाम के बचपन से लेकर लगभग 1999 तक के जिवन सफर के बारे मे बताया गया है।
मूल रुप मे अंग्रेजी मे प्रकाशित यह किताब, विश्व की १३ भाषाओ मे अनुवादित हो चुकी है। जिसमे भारत की प्रमुख भाषाए हिंदी, गुजराती, तेलगु, तमिल, मराठी, मलयालम के साथ-साथ कोरियन, चीनी और ब्रेल लिपी भी सामिल है। [१]
अनुक्रम |
[संपादित करें] स्वरूप
आत्मकथा 4 भागो मे विभाजित है।
[संपादित करें] अनुस्थापन (Orientation)
यह पहला भाग, तीन अध्यायो मे विभाजित है। इसमे डॉ. अब्दुल कलाम के बचपन से ले के पहले 32 वर्षो के संस्मर्णो का वर्णन है। इन वर्षो मे डा. कलाम के बचपन, शिक्षा और शुरूआती करियर के बारे मे बताया गया है।
डा. कलाम का जन्म तमिलनाडु मे रामेश्वरम मे मध्यम वर्गीय तमिल मुस्लिम परिवार मे हुआ था। उनके परिवार, चचरे भाईयो, शिक्षको और अन्य लोगो से पडे प्रभावो के बारे मे वर्णन किया गया है। रामेश्वरम में प्राइमरी स्कूल में पढ़ने के बाद, डॉ. कलाम शवार्टज़ हाई स्कूल, रामनाथपुरम गए और वहां से उच्च शिक्षा के लिए सेंट जोज़िफ़ कालेज, तीरुच्छीरापल्ली (त्रिची) गए। उनके शिक्षा के बारे मे किए गए वर्णन मे वे अपने शिक्षको और उनके साथ हुए अनुभवो के बारे मे बताते है। सेंट जोज़िफ़ कालेज से बीएससी पास करने के बाद विमान-विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए उसने मद्रास इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नालोजी (MIT) में दाखिला लिया। 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट आफ टेकनालजी से अंतरिक्ष विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की है।
एम आई टी से एक प्रशिक्षार्थी के रूप में वह एच ए एल बैगंलोर में गए। इसके बाद डॉ. कलाम ने डी टी डी एंड पी (वायु) के तकनीकी केन्द्र (सिविल विमानन) में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक के रूप में 250 मासिक मूल वेतन पर नौकरी आरंभ की। इस भाग के अंत मे वे 6 महिने के प्रशिक्षण के लिए नासा, अमेरिका जाते है।
[संपादित करें] सृजन (Creation)
सृजन भाग, 7 अध्यायो मे है, अध्याय 4 से अध्याय 10 तक। इसमे डा. कलाम के जीवन के 17 सालो (1963-1980) का वर्णन है। इस भाग मे, इन वर्षो मे हुए उनके काम और भारत के तकनिकी विकास की कहानी मिलती है।
डा. कलाम इसरो मे काम करने वाले एक इंजीनीयर से देश की बहुचर्चित तकनिकी परियोजना, एसएलवी के प्रमुख बनते है। इस दौरान उनको अन्य छोटी बडी सफलता और असफलातो से सामना करना पडता है। वे न केवल उच्च अधिकारियो का वर्णन करते है वरन कई उभरते हुए वैज्ञानिको के साथ हुए अनुभवो के बारे मे भी लिखते है। 1976 मे उनके पिता का देहांत होता है। 1981 मे उन्हे पद्मभूषण मिलता है। इस भाग के अंत मे वे डीआरडीएल के निर्देशक के रूप मे चुने जाते है।
[संपादित करें] Propitiation
इस भाग मे डा. कलाम के जीवन के अगले 10 सालो के बारे मे लिखा गया है। यह भाग 5 अध्यायो मे है, अध्याय 11 से अध्याय 14 तक। इस भाग मे उनके द्वारा डीआरडीएल मे किए गए काम का वर्णन है।
इस भाग मे डीआरडीएल मे किए गए उनके प्रबंधन संबंधित कार्यो का ज्यादा वर्णन है। डीआरडीएल प्रयोगशाला डा. कलाम के प्रबंधन के अंतर्गत आत्मविश्वास के साथ भारत के मिसाइल परियोजना का निर्माण करती है। इस भाग मे वे वर्णन करते है कि कैसे वे इस काम को अंजाम देने के लिए व्यक्तियो का चुनाव करते है। उनके रास्ते मे आई मुश्किलो को हल करने के लिए वे पारंपरिक शैली से हटकर नए निर्णय लेते है। वे शिक्षण संस्थाओ के साथ भी भागीदारी करते है।
[संपादित करें] अवलोकन (Contemplation)
यह भाग 2 अध्यायो मे है, अध्याय 15 और अध्याय 16। इस मे डा. कलाम के जीवन के अगले 9 सालो (1991-1999) तक का वर्णन है। इस भाग मे डा. कलाम अपने जीवन के अनुभवो, ज्ञान और विचार को संकलित करते है। वर्ष 1997 मे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होते है। और देश की आने वाली पीढ़ी को संदेश देते है।
[संपादित करें] यह भी देखे
[संपादित करें] बाहरी कडियाँ
[संपादित करें] सम्बन्ध
- ↑ “'Wings of Fire' to go online”, The Hindu, 16 मई, 2003।
डा. कलाम की पुस्तकें |
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